पहलगाम आतंकी हमले में एनआईए ने अदालत में दाखिल की चार्जशीट
- जम्मू की अदालत में पेश चार्जशीट में मारे गए आतंकियों से लेकर मददगार नेटवर्क तक का पूरा ब्योरा सामने आया है
Khabari Chiraiya Desk : पहलगाम आतंकी हमले के करीब आठ महीने बाद जम्मू की विशेष अदालत में एनआईए ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें हमले की साजिश, आतंकियों की पहचान और उन्हें स्थानीय स्तर पर मिली मदद का विस्तार से खुलासा किया गया है। यह चार्जशीट न केवल हमले के पीछे के नेटवर्क को उजागर करती है, बल्कि जांच की दिशा और अब तक की कार्रवाई को भी स्पष्ट करती है।
एनआईए के मुताबिक, इस हमले को अंजाम देने वाले तीनों आतंकवादी अब जीवित नहीं हैं। सेना ने जुलाई में चलाए गए ऑपरेशन महादेव के तहत इन तीनों को मुठभेड़ में मार गिराया था। मारे गए आतंकियों की पहचान सुलेमान शाह, हमजा और जिब्रान के रूप में हुई थी। एजेंसी का कहना है कि ये तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे और सीमापार से निर्देश लेकर घाटी में सक्रिय थे।
चार्जशीट में केवल हथियार उठाने वाले आतंकियों का ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर मदद करने वाले नेटवर्क का भी जिक्र किया गया है। एनआईए ने तीन ऑन ग्राउंड वर्कर्स को नामजद किया है, जिन पर हमले से पहले आतंकियों को पनाह, भोजन और अन्य जरूरी संसाधन मुहैया कराने का आरोप है। इन लोगों में बशीर अहमद जोथर, परवेज अहमद जोथर और मोहम्मद यूसुफ कटारी शामिल हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, बिना स्थानीय सहयोग के इस तरह का बड़ा हमला संभव नहीं हो सकता था।
यह आतंकी हमला 22 अप्रैल 2025 को हुआ था, जब तीन हथियारबंद आतंकियों ने पहलगाम की बैजसन घाटी में अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। जांच में सामने आया कि आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी और फिर हिंदू बताए जाने पर उन्हें निशाना बनाया। बैजसन घाटी उस समय सैलानियों से भरी हुई थी, जो छुट्टियां मनाने कश्मीर पहुंचे थे।
हमलावर आधुनिक हथियारों से लैस थे। उनके पास एम4 कारबाइन और एके-47 जैसे घातक हथियार थे, जिससे उन्होंने कुछ ही मिनटों में भारी तबाही मचा दी। हमले के तुरंत बाद द रेजिस्टेंट फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली थी, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का ही एक सहयोगी संगठन माना जाता है। हालांकि बाद में यह संगठन अपने बयान से पीछे हट गया था, लेकिन जांच में इसके लश्कर से जुड़े होने की पुष्टि हुई।
इस हमले की जांच का जिम्मा केंद्र सरकार ने एनआईए को सौंपा था। जांच के दौरान जून महीने में दो ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने आतंकियों को शरण दी थी। पूछताछ में इन लोगों ने स्वीकार किया कि हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। इसके बाद सेना ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन महादेव चलाया और तीनों आतंकियों का सफाया कर दिया।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सैन्य स्तर पर भी कड़ा जवाब दिया था। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस कार्रवाई में जैश और लश्कर से जुड़े कई ठिकानों और उनके हेडक्वार्टर को तबाह किया गया था। इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना के कुछ एयरबेस भी हमलों की चपेट में आए थे।
अब चार्जशीट दाखिल होने के बाद यह मामला कानूनी प्रक्रिया के अगले चरण में पहुंच गया है। एनआईए का कहना है कि वह आतंकवाद से जुड़े हर कड़ी को कानून के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
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