December 21, 2025

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दोषरहित पंचक में खुलते हैं कई शुभ कार्यों के रास्ते

  • बुधवार से शुरू होने वाला पंचक सामान्य पंचकों से अलग होता है। इस अवधि में कुछ ऐसे काम भी किए जा सकते हैं जो आमतौर पर वर्जित रहते हैं

Khabari Chiraiya Desk : हिंदू धर्म और ज्योतिष में पंचक को आमतौर पर सावधानी और संयम का समय माना जाता है। यह वह अवधि होती है, जब चंद्रमा विशेष नक्षत्रों से होकर गुजरता है और कुछ कार्यों को करने से बचने की परंपरा रही है। लेकिन हर पंचक एक जैसा नहीं होता। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में लगने वाला पंचक इसी वजह से अलग और खास माना जा रहा है, क्योंकि यह सामान्य प्रतिबंधों से कुछ हद तक मुक्त है।

दिसंबर महीने में पंचक का आरंभ 24 से हो रहा है और इसका समापन 29 की सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर होगा। यह पंचक बुधवार से शुरू हो रहा है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र में इसे दोषरहित पंचक की श्रेणी में रखा गया है। दोषरहित पंचक का अर्थ यही है कि इस दौरान वे सभी कार्य पूर्ण रूप से निषिद्ध नहीं माने जाते, जिन्हें सामान्य पंचक में टालने की सलाह दी जाती है।

ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार पंचक तब लगता है, जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में प्रवेश करता है। इन पांच नक्षत्रों की अवधि को ही पंचक कहा जाता है। आमतौर पर इस समय शुभ कार्य, नई खरीदारी और निर्माण संबंधी गतिविधियों से दूरी बनाई जाती है, लेकिन दोषरहित पंचक में नियमों में कुछ ढील दी जाती है।

दिसंबर में लग रहे इस दोषरहित पंचक की सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि सरकारी और प्रशासनिक कार्यों के लिए यह समय अनुकूल होता है। सरकारी नौकरी से जुड़े काम, कार्यालयीन निर्णय, टेंडर, आवेदन या राजनीतिक गतिविधियों में इस अवधि को लाभकारी माना गया है। इसी कारण इसे विशेष रूप से कार्यक्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए शुभ समय कहा जा रहा है।

हालांकि दोषरहित होने के बावजूद इस पंचक में भी कुछ सावधानियां आवश्यक हैं। ज्योतिष के अनुसार जल तत्व से जुड़े कार्यों से बचना चाहिए। इसके अलावा दक्षिण दिशा की यात्रा, फर्नीचर या पलंग की खरीद, घर की छत डलवाना, नए भवन निर्माण की शुरुआत और ज्वलनशील वस्तुओं की खरीद को अभी भी वर्जित माना गया है। यानी पंचक दोषरहित होने पर भी पूर्ण रूप से निर्बाध नहीं होता।

ज्योतिष शास्त्र में पंचक का स्वरूप उस दिन पर भी निर्भर करता है, जिस दिन से पंचक की शुरुआत होती है। रविवार से आरंभ होने वाले पंचक को रोग पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। मंगलवार से शुरू होने पर अग्नि पंचक, बुधवार और गुरुवार से शुरू होने पर दोषरहित पंचक, शुक्रवार से शुरू होने पर चोर पंचक और शनिवार से लगने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है।

दिसंबर का यह पंचक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वर्ष के अंतिम दिनों में पड़ रहा है। ऐसे में जो लोग नए वर्ष से पहले अपने लंबित कार्य पूरे करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय सोच समझकर उपयोग करने योग्य माना जा रहा है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह पंचक सावधानी के साथ अवसर भी प्रदान करता है, जहां परंपरा और व्यवहार के बीच संतुलन बनाकर निर्णय लिया जा सकता है।

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