पोस्टर राजनीति से गरमाया बिहार
- तेजस्वी की गैरमौजूदगी पर बीजेपी का तंज। चुनावी नतीजों के बाद सार्वजनिक मंचों से दूरी पर सवाल
Khabari Chiraiya Desk : बिहार की राजनीति में एक बार फिर पोस्टर के जरिए सियासी हमले की परंपरा लौट आई है। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सार्वजनिक गतिविधियां सीमित रहने को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उन पर सीधा तंज कसा है। बीजेपी ने पोस्टर जारी कर तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी को मुद्दा बनाते हुए राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।
दरअसल, चुनाव नतीजों के बाद तेजस्वी यादव मीडिया और सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपेक्षाकृत कम नजर आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वे बीते करीब दो सप्ताह से पटना से बाहर हैं। इस दौरान उनकी ओर से सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए कुछ प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। 16 दिसंबर को तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा किया था, लेकिन उसके बाद उनकी प्रत्यक्ष राजनीतिक सक्रियता पर सवाल उठने लगे।
इसी पृष्ठभूमि में बीजेपी ने पोस्टर जारी कर तेजस्वी यादव पर कटाक्ष किया है। पोस्टर में उन्हें लापता बताते हुए खोज की अपील जैसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है। बीजेपी का आरोप है कि चुनाव परिणामों के बाद नेता प्रतिपक्ष जनता और मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। पोस्टर के जरिए पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि विपक्ष का नेतृत्व मैदान से गायब है।
इस पोस्टर में तेजस्वी यादव की तस्वीर के साथ उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत पहलुओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की गई हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि जनता ने जिनसे सवाल पूछने की उम्मीद की थी, वे जवाब देने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। पार्टी इसे विपक्ष की कमजोर स्थिति के तौर पर पेश कर रही है।
बीजेपी के इस कदम के बाद बिहार की राजनीति में बयानबाजी तेज हो गई है। आरजेडी समर्थकों का कहना है कि यह मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है और पोस्टर के जरिए व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। उनका तर्क है कि तेजस्वी यादव पार्टी के अंदरूनी बैठकों और रणनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं और उचित समय पर सार्वजनिक तौर पर सामने आएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में पोस्टर राजनीति नया हथियार नहीं है। पहले भी कई नेताओं को इस तरह के व्यंग्यात्मक पोस्टरों के जरिए घेरा गया है। चुनावी नतीजों के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और यह पोस्टर उसी सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब राजनीतिक बहस का रूप ले चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नेता प्रतिपक्ष इस हमले का जवाब किस अंदाज में देते हैं और बिहार की राजनीति में यह पोस्टर वार किस दिशा में जाता है
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