बेथलहम की गोशाला में जन्मी कहानी आज भी मानवता को जोड़ रही है
- महाद्वीपों और देशों की सीमाओं से ऊपर उठकर मनाया जा रहा क्रिसमस उत्सव। रोशनी, प्रार्थना और सेवा के जरिए शांति का वैश्विक संदेश
Khabari Chiraiya Desk: दिसंबर की ठंडी रात जैसे ही गहराने लगती है, पूरी दुनिया में एक खास किस्म की हलचल महसूस होने लगती है। सड़कों पर सजी रोशनियां, चर्चों से आती प्रार्थनाओं की आवाज और घरों में उमड़ती खुशियां यह बताने लगती हैं कि क्रिसमस की वह रात फिर लौटने वाली है, जिसने सदियों पहले इंसानियत को प्रेम और करुणा का रास्ता दिखाया था। यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि उस जन्म की स्मृति है जिसने दुनिया की सोच को बदल दिया।
ईसाई परंपरा के अनुसार, ईसा मसीह का जन्म बेथलहम की एक साधारण गोशाला में हुआ था। मरियम और यूसुफ जब यात्रा करते हुए वहां पहुंचे, तब उन्हें ठहरने के लिए कोई स्थान नहीं मिला। ऐसे हालात में उसी गोशाला में यीशु का जन्म हुआ। कहा जाता है कि उस रात आकाश में एक विशेष तारा चमका, जिसने यह संकेत दिया कि मानवता के लिए एक नया संदेश लेकर कोई आया है। चरवाहों को इस जन्म का संदेश मिला और वे नवजात शिशु को देखने पहुंचे। दूर देशों से ज्ञानी लोग भी उस तारे का अनुसरण करते हुए वहां आए और बच्चे को सम्मान अर्पित किया। यही कथा आज भी क्रिसमस का मूल आधार है।
इसी जन्म की याद में हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस मनाया जाता है। यूरोप के ऐतिहासिक चर्चों से लेकर अमेरिका की सजी हुई गलियों तक, एशिया के शहरों से लेकर अफ्रीका के गांवों तक, हर जगह एक ही भावना दिखाई देती है। चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं और यीशु के जन्म दृश्य को सजाया जाता है, ताकि लोग उस क्षण को महसूस कर सकें जिसने मानव इतिहास को नई दिशा दी।
क्रिसमस के दिनों में बाजारों की रौनक भी देखने लायक होती है। क्रिसमस ट्री, सितारे, सजावटी रोशनियां और केक मिठाइयों से दुकानें भर जाती हैं। स्कूलों और सामाजिक संस्थानों में बच्चे यीशु के जन्म की कहानी पर आधारित नाटक और गीत प्रस्तुत करते हैं। इन कार्यक्रमों के जरिए उन्हें यह सिखाया जाता है कि क्रिसमस का मतलब केवल उपहार नहीं, बल्कि प्रेम और सेवा है।
सांता क्लॉज की परंपरा भी इसी भावना को आगे बढ़ाती है। बच्चे उम्मीद और खुशी के साथ इस दिन का इंतजार करते हैं। उनके मन में यह भाव जगता है कि देना और बांटना सबसे बड़ी खुशी है। यही कारण है कि दुनिया के कई हिस्सों में क्रिसमस के मौके पर जरूरतमंदों के लिए भोजन, कपड़े और उपहार बांटे जाते हैं।
आज जब दुनिया युद्ध, तनाव और असमानता के दौर से गुजर रही है, क्रिसमस का संदेश पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। ईसा मसीह का जन्म यह याद दिलाता है कि प्रेम, क्षमा और शांति ही मानवता का असली रास्ता है। यही वजह है कि क्रिसमस पूरी दुनिया में सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उम्मीद की रोशनी बनकर मनाया जाता है।
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