अब सत्ता पाने की ओर बढ़ा “जन सुराज” का अभियान
सवाल-क्या बिहार में दल के रूप में “जनसुराज” ने अपने संविधान और सत्ता में आने के बाद जिन पांच वादों को जनता के सामने रखा है, यह वाकई बिहार में बदलाव कर पाएगा…?
राजेश श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार)
बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। “जन सुराज” अभियान अब राजनीतिक दल बन चुका है। वह भी ऐसा दल जो बिहार में बदलाव करना चाहता है। इससे बिहार की राजनीति में एक अलग हलचल पैदा हो गई है। “जन सुराज” के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव करने की मुहिम चलाकर जिस तरिके से गांव-गांव पदयात्रा कर अपनी मुहिम से लोगों को जोड़ा, वह अब दिखने लगा है। “जनसुराज” अभियान से जुड़े लोग बिहार की अब एक बड़ी जमात के रूप में नजर आने लगे हैं। इसकी छवि 02 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में दिखी।
ग्राउंड में पहुंची भीड़ से यह अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि बिहार की जनता बदलाव के मूड में दिख रही हैं, लेकिन क्या यह आने वाले दिनों और साल में सच साबित होगा?…। यदि यह सच साबित हुआ तो बिहार के तमाम राजनीतिक घरानों का क्या होगा, जो वर्षों से बिहार की राजनीति के सिरमौर्य बने हैं और राज कर रहे हैं। वैसे तो प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में तीन बड़े नेताओं का ही नाम लिया है, सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतिश कुमार और लालू प्रसाद का।
अब सवाल यह उठता है कि नरेंद्र मोदी मतलब भाजपा, नीतिश मतलब जदयू और लालू मतलब राजद। इसका मतलब यही निकलता है कि बिहार में तीन दल हैं, जो अब राज करते आ रहे है। कांग्रेस पार्टी का नाम नहीं लिया, जबकि आजादी के बाद से तो पूरे देश में कांग्रेस का ही शासन रहा है। इसके बाद राजद ने बिहार की सत्ता पर कब्जा जमा लिया और फिर जदयू की बारी आई। हालांकि जदयू ने कभी अपने दम पर सत्ता नहीं हासिल की, कभी भाजपा तो कभी राजद का गठजोड़ रहा। बाद के दिनों में कांग्रेस भी गठजोड़ में नजर आई। इस गठजोड़ में एक बात कॉमन रही कि गठजोड़ किसी का हो, लेकिन मुख्यमंत्री तो नीतिश कुमार ही बनते रहे और फिलहाल हैं।
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सवाल यह भी उठता है कि बिहार में दल के रूप में “जनसुराज” ने अपने संविधान और सत्ता में आने के बाद जिन पांच वादों को जनता के सामने रखा है, यह वाकई बिहार में बदलाव कर पाएगा। हालांकि अभी इसमें वक्त है बिहार विधानसभा के आमचुनाव में ही इसकी छवि नजर आएगी, लेकिन प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में जो दावा किया है कि 2025 के चुनाव की झलक बिहार विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ही दिख जाएगी यह गौर करने वाली है।
प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में दूसरे प्रदेशों में अपमानित होने और बिहार में बदहाल जिंदगी की चर्चा करते हुए प्रदेश में अब तक की राजनीति व्यवस्था को दोषी बताया है और पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर नीतिश कुमार और लाल प्रसाद नाम लेकर जाति-जमात और मंदिर-मस्जिद के नाम पर वोदे देने की प्रवृत्ति की चर्चा की, यह बात भी गौर करने वाली है।
वैसे, जो भी हो “जनसुराज” ने बिहार में बदलाव की जो मुहिम छेड़ी है यह कितना सफल होगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय हो गई है कि “जनसुराज” अभियान रानीतिक दल बनने के बाद सत्ता पाने की ओर बढ़ गया है। बिहार में बदलाव के बयार की चर्चा पूरजोर होने लगी है, आईए समय का इंतजार करते हैं।
पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में बड़ी संख्या से बिहार के कोने-कोने से पहुंची जमात के सामने पहले दिन “जन सुराज” के सूत्रधार और “जनसुराज” के पहले कार्यवाहक अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने दल के संविधान और पांच प्रमुख प्रावधानों को बिहार की जनता के समक्ष रखा और पांच प्रमुख वादा कर दावा कि बिहार की सत्ता में “जन सुराज” आएगा और यह 5 काम हो जाएंगे, यह भी याद रखने की जरूरत है।
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प्रशांत किशोर ने दल की घोषणा करने के बाद दल के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पूर्व भारतीय राजनयिक मनोज भारती के नाम की घोषणा की और परिचय कराया। लोगों को बताया कि इनका जन्म मधुबनी में हुआ है और ये अनुसूचित जाति से आते हैं। इनकी शुरुआती शिक्षा जमुई के सरकारी विद्यालय से हुई और उसके बाद उन्होंने नेतरहाट से पढ़ाई की। बताया कि मनोज ने IIT कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की, फिर IIT दिल्ली में पढ़ाई करते हुए उनका चयन भारतीय विदेश सेवा में हो गया, वे चार देशों में देश के राजदूत रह चुके हैं।
यह है दल का पांच प्रमुख वादा…
पहला बिहार को फिर से ज्ञान की भूमि बनाना है। बिहार के गौरवशाली इतिहास में पूरे विश्व से लोग नालंदा और विक्रमशिला में ज्ञान प्राप्ति के लिए आते थे। उस बिहार में उसके बच्चों के लिए फिर से ऐसी व्यवस्था बनाना।
दूसरा हर युवा के हाथ में बिहार में ही रोजगार ताकि बिहार से पलायन को बंद कर सके।
तीसरा हर 60 वर्ष की आयु से ऊपर हर महिला-पुरुष को प्रतिमाह 2 हजार रुपए की पेंशन।
चौथा महिलाओं को सरकारी गारंटी पर व्यवसाय के लिए 4 प्रतिशत सालाना ब्याज पर पूंजी उपलब्ध कराना।
पांचवा वादा कि बिहार के किसानों को सहयोग करके बिहार में हो रही पेट भरने वाली खेती से कमाने वाली खेती बनाना।
यह है दल का संविधान…
प्रशांत किशोर ने दल के संविधान को लोगों सामने रखा और बताया कि जन सुराज के अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल का होगा और लीडरशिप काउंसिल का कार्यकाल दो साल होगा। दूसरा उन्होंने बताया की जन सुराज देश का पहला दल होगा जो Right to Recall (राइट टू रिकॉल) लागू करेगा। जनता ही अपना उम्मीदवार का चयन करेगी और उनको मध्य कार्यकाल में ही हटाने का अधिकार भी जनता के पास होगा। बताया कि जन सुराज ने चुनाव आयोग को अपने आधिकारिक झंडे के लिए आवेदन किया है उसमे महात्मा गांधी के साथ-साथ बाबा साहेब अंबेडकर का भी चित्र होगा। यह बिहार और अन्य राजनैनित दलों से अलग है, जो बिहार की राजनीति एक अलग प्रभाव डाल सकता है।
“आप बिहार से बिहारी को दूर कर सकते हैं पर दिल से बिहारी मानसिकता को नहीं”
“जन सुराज” दल के नव चयनित कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने कार्यकारी अध्यक्ष बनते ही कहा कि “आप बिहार से बिहारी को दूर कर सकते हैं पर उनके दिल से बिहारी मानसिकता को नहीं निकाल सकते हैं। उत्तर बिहार में आए बाढ़ पर चिंता की और कहा कि “जन सुराज” यह सुनिश्चित करेगा कि जो नदियां बिहार के लिए अभिशाप बन गई हैं, उन्हें वरदान बना सकें। यह बिहार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। अपने राजनयिक जीवन का उदहारण देते हुए कहा कि जब वह किसी विदेशी नेता या राजनयिक को तोहफा देते थे तो वह मधुबनी की चित्रकला, भागलपुर का सिल्क होता था। इससे कार्यकारी अध्यक्ष की बिहारी लगाव और बिहार में बदलाव की झलक नजर आती है।
(लेखक खबरी चिर्रया के संस्थापक/संपादक हैं और यूपी बिहार, पंजाब में दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे बड़े अखबारों में बड़ी जिम्मेदारी के रूप में वर्षों यात्रा करते हुए अपनी सेवा दी है)
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