अंतरिक्ष में कमजोर दिखीं सुनीता विलियम्स, क्या है इसके पीछे की असली वजह

सोशल मीडिया पर वायरल भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की हालिया तस्वीर।
नासा ने अपने बयान में सभी यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है
नई दिल्ली। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की हालिया तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर कई सवाल उठे हैं। जून 2024 से अपने साथी बुच विलमोर के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने वाली सुनीता की इस तस्वीर में वह कमजोर नजर आ रही हैं और उनका वजन भी कम दिख रहा है। इस पर कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई, लेकिन नासा ने स्थिति स्पष्ट करते हुए सभी यात्रियों के सुरक्षित होने की बात कही है।
अंतरिक्ष में भारहीनता, उच्च विकिरण स्तर और सीमित पोषण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो किसी भी अंतरिक्ष यात्री के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है, साथ ही कैलोरी की कमी और वजन में गिरावट का सामना करना पड़ता है। सुनीता विलियम्स की तस्वीर में उनकी गाल धंसे हुए नजर आ रहे हैं, जो वजन में कमी और तनाव का प्रतीक है।
सिएटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विनय गुप्ता ने बताया कि लंबी अवधि तक ऊंचाई पर रहने से शरीर पर दबाव पड़ता है, जिससे प्राकृतिक तनाव उत्पन्न होता है। यही कारण है कि अंतरिक्ष में यात्रियों के शरीर में बदलाव आते हैं। उन्होंने कहा कि यह बदलाव, हालांकि देखने में चिंताजनक लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों के लिए सामान्य हैं।
नासा ने अपने बयान में सभी यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले प्रत्येक यात्री के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जाती है। नासा ने यह स्पष्ट किया है कि अंतरिक्ष में मौजूद यात्रियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। नासा का कहना है कि अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में होने वाले कुछ बदलाव सामान्य होते हैं और वापसी पर उनका इलाज संभव होता है।
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक रहना किसी भी मानव शरीर के लिए आसान नहीं होता। वजन कम होना और शरीर में अन्य बदलाव आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो भारहीनता की स्थिति में होता है। नासा नियमित रूप से ऐसे बदलावों पर शोध करता है ताकि भविष्य में मंगल जैसे दूर के ग्रहों पर भेजे जाने वाले मिशनों के लिए तैयारी की जा सके।
नासा और अन्य स्पेस एजेंसियों के लिए यह जरूरी है कि वे अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान मानव शरीर पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करें। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है बल्कि भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए तैयारियां भी पुख्ता होती हैं। सुनीता विलियम्स जैसी यात्रियों के अनुभव और उनके शरीर में आने वाले बदलाव, शोधकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
लंबी अवधि तक अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों में होने वाले शारीरिक परिवर्तन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो मंगल और अन्य ग्रहों पर जाने की योजनाएं बना रहे हैं। इस अध्ययन से यह समझने में मदद मिलेगी कि मानव शरीर पर भारहीनता और अन्य अंतरिक्ष स्थितियों का कितना असर पड़ सकता है और किस प्रकार इन प्रभावों से निपटा जा सकता है।
सुनीता विलियम्स की वायरल तस्वीर भले ही चिंता का कारण बन सकती है, लेकिन नासा के बयान से यह स्पष्ट है कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाले यात्रियों के लिए ये बदलाव सामान्य हैं। स्वास्थ्य में यह कमी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक चुनौती जरूर है, लेकिन इसे नासा की निगरानी में सुरक्षित रूप से प्रबंधित किया जा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर यह दर्शाया है कि अंतरिक्ष में मानव यात्रा से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर गहन अध्ययन की आवश्यकता है। साथ ही, नासा और अन्य स्पेस एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के स्वास्थ्य परिवर्तन भविष्य की लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान यात्रियों के लिए समस्यायें पैदा न करें।
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