आईएफएफआई 2024 : नवोदित फिल्म निर्माताओं के लिए अवसर…

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब में छह फिल्में होंगी पेश
सिनेमा। भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब में इस बार छह अद्वितीय फिक्शन फिल्मों का चयन हुआ है, जो नवोदित फिल्म निर्माताओं के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का अनूठा अवसर लेकर आया है। इन फिल्मों को आईएफएफआई के फिल्म बाजार में विशेष प्रदर्शन का मौका मिलेगा, जहां उन्हें न सिर्फ दिखाने का अवसर मिलेगा, बल्कि विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण सुझाव भी प्राप्त होंगे।
चयनित फिल्मों में त्रिबेणी राय की “शेप ऑफ मोमोज” (नेपाली), शक्तिधर बीर की “गांगशालिक– रिवर बर्ड” (बंगाली), मोहन कुमार वलासला की “येरा मंदारम” (तेलुगु), रिधम जानवे की “काट्टी री रात्ती” (गद्दी, नेपाली), सिद्धार्थ बाड़ी की “उमल” (मराठी), और विवेक कुमार की “द गुड, द बैड, द हंग्री” (हिंदी) शामिल हैं।
वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब में इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सत्रों का संयोजन होगा। इस अनूठी पहल के माध्यम से फिल्म निर्माता और संरक्षक एक ही मंच पर एकत्रित होंगे और रचनात्मक विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे। चयनित फिल्म निर्माता अपने रफ कट को उद्योग के सम्मानित विशेषज्ञों के सामने प्रस्तुत करेंगे और इनसे प्राप्त प्रतिक्रिया के माध्यम से अपनी कहानियों को और निखार सकेंगे। इस प्रयास के तहत फिल्म निर्माताओं को एक ऐसा मंच प्रदान किया जाता है, जहां वे अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और फिल्मों को अंतिम रूप देने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
2008 में शुरू की गई यह लैब अब तक कई फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक रही है। “तुम्बाड”, “तितली”, “लिपस्टिक अंडर माय बुर्का”, “शिप ऑफ थीसियस” जैसी कई उल्लेखनीय फिल्मों का प्रीमियर प्रमुख फिल्म समारोहों में हुआ है। इस साल भी, वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब नए प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं की रचनात्मकता को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।
फिल्म बाजार, दक्षिण एशियाई फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यहाँ, नवोदित फिल्म निर्माताओं को न केवल अपने काम को प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है, बल्कि वे फिल्म उद्योग के पेशेवरों से बहुमूल्य सुझाव प्राप्त कर सकते हैं, जो उनकी फिल्म को और प्रभावशाली बनाने में सहायक होते हैं।
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