November 24, 2024

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IFFI@ युवा फिल्म निर्माताओं का लॉन्चपैड

‘गुल्लू’-एक अदृश्य मोबाइल फ़ोन के ज़रिए मनुष्य और तकनीक के बीच के नाज़ुक रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्म ने सीएमओटी में बहुत प्रशंसा प्राप्त की

55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में आयोजित ‘क्रिएटिव माइंड्स ऑफ़ टुमॉरो’ (सीएमओटी) कार्यक्रम ने उभरते फिल्म निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। यह आयोजन भारतीय सिनेमा के भविष्य का उत्सव मनाने के साथ-साथ युवा प्रतिभाओं के लिए अपने कौशल को दिखाने का अवसर था। इस वर्ष, आईएफएफआई ने “प्रौद्योगिकी के युग में रिश्ते” विषय पर आधारित लघु फिल्मों के निर्माण को केंद्रित करते हुए अपनी छवि को और सुदृढ़ किया।

सीएमओटी ने इस वर्ष उल्लेखनीय विस्तार किया। इसमें 13 फिल्म निर्माण विषयों में देश भर से चयनित 100 प्रतिभाओं ने भाग लिया। यह पिछले संस्करण के 75 प्रतिभागियों और 10 कहानियों की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। इस बार, इस कार्यक्रम के लिए 1,070 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जो देश के युवाओं की रचनात्मकता और उत्साह को दर्शाती हैं।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 48-घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती थी, जिसे पंजिम में 21 से 23 नवंबर, 2024 तक आयोजित किया गया। इस चुनौती के तहत, प्रतिभागियों को 20 सदस्यीय पाँच टीमों में विभाजित किया गया। इन टीमों ने पंजिम के 12 स्थानों पर फिल्मों की शूटिंग की। यह प्रक्रिया उनकी रचनात्मकता और समय प्रबंधन कौशल का परीक्षण करने के लिए एक आदर्श मंच साबित हुई।

इस वर्ष, फिल्म निर्माण चुनौती में विजेता फिल्म ‘गुल्लू’ रही, जिसने न केवल सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता, बल्कि इसके निर्देशक अर्शाली जोस और अभिनेता पुष्पेंद्र कुमार को भी विशेष सराहना मिली। ‘गुल्लू’ ने तकनीक और मानव जीवन के बीच के जटिल संबंध को संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया।

निर्देशक अर्शाली जोस ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उनकी टीम की है, और उनकी पटकथा ने ही फिल्म को विशेष बनाया। उन्होंने इसे अपने करियर का अविस्मरणीय अनुभव बताया। इसी तरह, अन्य विजेताओं ने भी इस चुनौती के अनुभव को सीखने और आगे बढ़ने का मंच बताया।

इस आयोजन को और भी खास बनाने के लिए सीएमओटी के पूर्व छात्रों ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। इन छात्रों को ‘सीएमओटी चैंपियंस’ के रूप में बुलाया गया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए इसे भविष्य के दिग्गजों के लिए एक प्रेरणादायक कार्यक्रम बताया। उन्होंने कहा कि आईएफएफआई के माध्यम से युवा फिल्म निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिलता है।

इस अवसर पर जाने-माने अभिनेता अमित साध ने कहा कि आईएफएफआई युवा फिल्म निर्माताओं के लिए उद्योग के दरवाजे खोलता है। वहीं, ग्रैंड ज्यूरी सदस्य और शॉर्ट्स इंटरनेशनल के सीईओ कार्टर पिल्चर ने भी प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए फिल्मों की गुणवत्ता को उत्कृष्ट बताया।

आईएफएफआई ने इस बार केवल सिनेमा का उत्सव नहीं मनाया, बल्कि भारत के युवा फिल्म निर्माताओं के लिए एक मजबूत लॉन्चपैड के रूप में अपनी भूमिका को स्थापित किया। यह आयोजन उनकी रचनात्मकता और कौशल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने का सशक्त माध्यम बना।

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