December 4, 2024

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मध्य प्रदेश : डॉक्टर की लापरवाही से महिला के पेट में छूट गई ‘मौत की कैंची’

सीटी स्कैन करवाया गया, तब पता चला कि पेट में धातु की वस्तु है, ऑपरेशन करके निकाला गया

मध्य प्रदेश : भिंड  जिले के गांव सौंधा गोहद की रहने वाली कमला बाई का चेहरा दर्द और निराशा से भरा हुआ था। हर गुजरते दिन के साथ उनका दर्द और बढ़ता जा रहा था। उनकी आंखों में सवाल था-क्या यह दर्द कभी खत्म होगा?

यह कहानी शुरू होती है फरवरी 2022 में, जब 44 वर्षीय कमला बाई ने ग्वालियर के कमला राजा अस्पताल में कैंसर की गांठ का ऑपरेशन करवाया। ऑपरेशन सफल बताया गया, लेकिन असल में यह उनके जीवन की सबसे बड़ी मुसीबत बन चुका था।

दर्द जो थमने का नाम नहीं ले रहा था

ऑपरेशन के बाद से ही कमला बाई को पेट में अजीब-सा दर्द महसूस होने लगा। शुरुआत में उन्होंने इसे नजरअंदाज किया, सोचते हुए कि यह ऑपरेशन का सामान्य असर है। लेकिन हफ्ते बीतते गए और दर्द बढ़ता ही गया।

कमला बाई ने डॉक्टरों से संपर्क किया। बार-बार जांचें हुईं, दवाइयां दी गईं, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला-“आप बिल्कुल ठीक हैं, घबराने की जरूरत नहीं।” कमला बाई ने डॉक्टरों की बातों पर भरोसा करने की कोशिश की, लेकिन दर्द उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था।

भिंड जिला अस्पताल का खुलासा

दो साल तक इस अनसुलझे दर्द के साथ जीने के बाद, आखिरकार कमला बाई ने भिंड जिला अस्पताल का रुख किया। शुक्रवार का दिन था, जब उन्होंने सीटी स्कैन करवाया। अस्पताल के स्कैन प्रभारी सतीश शर्मा ने स्कैन की रिपोर्ट देखकर कहा, “आपके पेट में एक धातु की वस्तु है। यह कोई साधारण चीज नहीं, बल्कि ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली कैंची है।”

यह सुनते ही कमला बाई सन्न रह गईं। उन्हें समझ नहीं आया कि दो साल तक डॉक्टरों ने इसे क्यों नहीं देखा। वह रो पड़ीं, लेकिन साथ ही एक राहत महसूस हुई-कम से कम अब उनके दर्द का कारण पता चल गया था।

कैंची को निकाला गया और राहत मिली

भिंड जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने तुरंत कमला बाई को समझाया कि उन्हें एक और ऑपरेशन कराना होगा। यह ऑपरेशन उनके पेट से उस कैंची को निकालने के लिए किया गया, जो दो साल पहले ग्वालियर में ऑपरेशन के दौरान छोड़ दी गई थी।

कमला बाई ने बड़ी हिम्मत जुटाई और दोबारा ऑपरेशन के लिए तैयार हो गईं। इस बार डॉक्टरों ने सावधानी बरतते हुए वह कैंची सफलतापूर्वक निकाल दी। ऑपरेशन के बाद, कमला बाई को राहत महसूस हुई। वह मुस्कुराईं और अपने परिवार से कहा, “अब मैं इस दर्द से आज़ाद हूं।”

एक भूल, जिसने बदला जीवन

कमला बाई ने याद किया कि पहले ऑपरेशन के समय सब कुछ सामान्य लग रहा था। डॉक्टरों ने कहा था कि कैंसर की गांठ सफलतापूर्वक निकाल दी गई है। लेकिन उस ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही ने उनका जीवन दो साल तक नरक बना दिया।

“दो साल से मैं इस दर्द के साथ जी रही थी। मेरे गांव के लोग कहते थे कि यह सब मेरे मन का वहम है। लेकिन अब सच सामने आ चुका है,” कमला बाई ने कहा।

न्याय की उम्मीद

कमला बाई के परिवार ने अब अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि डॉक्टरों की इस चूक ने उनके जीवन को बर्बाद कर दिया। परिवार ने सरकार से दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई और मुआवजे की मांग की है।

आशा की किरण

कमला बाई के दर्द और संघर्ष की यह कहानी केवल उनकी नहीं है। यह उन सभी लोगों के लिए एक सबक है, जो अपने स्वास्थ्य को लेकर आवाज उठाने से डरते हैं। यह घटना न केवल डॉक्टरों की लापरवाही पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि मरीजों को सतर्क रहने की सीख भी देती है।

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