संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा और विधायी कार्यों का बना सत्र ऐतिहासिक
नई दिल्ली : देश की लोकतांत्रिक प्रणाली और विधायी प्रक्रियाओं का महत्वपूर्ण केंद्र माने जाने वाले संसद का शीतकालीन सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 26 दिनों तक चले इस सत्र में विधायी कार्यों और संविधान अंगीकरण की 75वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चा ने इसे खास और यादगार बना दिया। सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी और इसमें लोकसभा की 20 और राज्यसभा की 19 बैठकें आयोजित की गईं।
विधायी कार्यों में हुआ उल्लेखनीय योगदान
सत्र के दौरान लोकसभा में कुल 5 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 4 को पारित किया गया। राज्यसभा ने 3 विधेयकों को मंजूरी दी। इन विधेयकों में “भारतीय वायुयान विधेयक, 2024” प्रमुख रहा, जिसका उद्देश्य विमान अधिनियम, 1934 में समय-समय पर हुए संशोधनों की अस्पष्टताओं को समाप्त कर इसे पुनः लागू करना था। यह विधेयक भारत की विमानन व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में अहम कदम है।
संविधान दिवस: लोकतंत्र की मजबूत नींव का उत्सव
26 नवंबर को भारत ने अपने संविधान अंगीकरण की 75वीं वर्षगांठ मनाई। इस मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में स्मारक सिक्के और डाक टिकट का विमोचन किया। इस अवसर पर “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” और “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” नामक दो पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।
विशेष चर्चा ने किया संविधान के महत्व को उजागर
संविधान की 75वीं वर्षगांठ के तहत 13-14 दिसंबर को लोकसभा और 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में “भारत के संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा” पर विशेष चर्चा आयोजित की गई। लोकसभा में यह चर्चा 15 घंटे 43 मिनट चली, जिसमें 62 सांसदों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री ने चर्चा का उत्तर दिया और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। राज्यसभा में यह चर्चा 17 घंटे 41 मिनट तक चली, जिसमें 80 सांसद शामिल हुए और गृह मंत्री ने इसका जवाब दिया।
वित्तीय मुद्दों पर चर्चा और निर्णय
सत्र के दौरान 2024-25 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों की पहली श्रृंखला पर चर्चा और मतदान किया गया। इस पर 7 घंटे 21 मिनट की बहस के बाद विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पारित किया गया।
लोकतंत्र की दिशा में एक और मजबूत कदम
संसद का यह सत्र न केवल विधायी उपलब्धियों के लिए बल्कि संविधान की महिमा और इसकी गौरवशाली यात्रा को समर्पित आयोजनों के लिए भी याद किया जाएगा। सत्र ने न केवल विधायी कार्यों को गति दी, बल्कि देशवासियों को संविधान के प्रति जागरूक और गर्वित होने का अवसर भी प्रदान किया।
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