मुख्यमंत्री की बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय को बैठक में जाने से रोका, जताई नाराजगी

ममता राय।
पूर्वी चम्पारण की जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय ने कहा-लोकतंत्र के खोखले दावे उजागर
पूर्वी चम्पारण : बिहार के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय को जाने से रोके जाने का मामला सामने आया। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति और प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ममता राय ने इसे जनप्रतिनिधियों का अपमान बताया और नाराजगी जताते हुए वापस लौट गईं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष की उपस्थिति को सामान्यतः आवश्यक माना जाता है। ममता राय समय से पहले बैठक स्थल, मोतिहारी के राधाकृष्णन भवन, पहुंचीं। बावजूद इसके, उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इस घटनाक्रम से आहत ममता राय ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति प्रशासन की उदासीनता करार दिया।
इस घटना ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। ममता राय का कहना है कि यह सिर्फ उनके सम्मान का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह जनप्रतिनिधियों के साथ हो रहे असम्मानजनक व्यवहार को भी दर्शाता है। उन्होंने प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार की जरूरत पर बल दिया।
इस घटनाक्रम के बाद से राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ इसे राज्य सरकार के खिलाफ राजनीतिक असहमति से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे प्रशासनिक लापरवाही मान रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता राय को जानबूझकर बैठक से दूर रखा गया, या यह प्रशासनिक चूक का परिणाम है।
ममता राय के इस विरोध से बिहार सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है और ममता राय आगे क्या कदम उठाती हैं।
यह घटना बिहार की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर सकती है। इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं, क्योंकि यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया की खामियों को उजागर करती है, बल्कि लोकतंत्र के खोखले दावों को भी सवालों के घेरे में लाती है। सरकार को इस मामले में जल्द ही स्थिति स्पष्ट करनी होगी, अन्यथा यह विवाद और गहराने की संभावना है।
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