अमेरिका ने फिर भारत पर बढ़ाया दबाव, भारत की छह कंपनियों पर लगाया आर्थिक प्रतिबंध, प्रतिबंधित सूची में 13 कंपनियां शामिल

ईरान से कारोबारी रिश्तों पर अमेरिका की सख्ती, अमेरिका का दावा है कि ये कंपनियां ईरान को राजस्व मुहैया कराकर मध्य-पूर्व में अस्थिरता और आतंकवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभा रही थीं, कुल 13 कंपनियों को प्रतिबंधित सूची में शामिल
Khabari Chiraiya Desk : खबर है कि अमेरिका ने एक बार फिर भारत पर दबाव बढ़ाते हुए छह भारतीय कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह कार्रवाई उन कंपनियों के खिलाफ की गई है, जो ईरान से पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद, बिक्री और वितरण से जुड़ी हुई थीं। अमेरिकी विदेश विभाग ने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि यह कदम ईरान को आतंकवाद और दमनकारी गतिविधियों के लिए होने वाली वित्तीय सहायता को रोकने के मकसद से उठाया गया है।
बयान के अनुसार, कुल 13 कंपनियों को प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है। इनमें भारत के अलावा चीन, इंडोनेशिया, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनियां भी शामिल हैं। अमेरिका ने इन सभी कंपनियों को ईरान के कच्चे तेल और पेट्रोकेमिकल व्यापार से जुड़ा बताते हुए कहा है कि वे प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रही थीं और ईरानी शासन के लिए महत्वपूर्ण राजस्व का स्रोत बन रही थीं।
भारत की दो प्रमुख कंपनियां…कंचन पॉलीमर्स और अलकेमिकल सॉल्यूशंस पर विशेष रूप से गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कंचन पॉलीमर्स ने ईरान की कंपनी तानिस ट्रेडिंग से लगभग 13 लाख डॉलर मूल्य के पॉलीथिलीन उत्पाद खरीदे थे। इस कंपनी को न केवल आयात-निर्यात बल्कि ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग जैसे अहम लेन-देन में भी शामिल बताया गया है।
वहीं अलकेमिकल सॉल्यूशंस ने जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 के बीच ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों का 84 मिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार किया है। इस पर भी वही आरोप हैं कि इसने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए ईरान को मजबूत करने वाला व्यापार किया।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति के भी खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि इस राजस्व का उपयोग ईरान न केवल आतंकी संगठनों को फंड देने के लिए कर रहा है, बल्कि अपनी जनता पर दमनात्मक कार्रवाई करने में भी कर रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल आर्थिक दबाव का मामला नहीं है, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति में “जीरो टॉलरेंस” की रणनीति को भी दर्शाता है। रूस के साथ भारत के घनिष्ठ व्यापारिक रिश्तों पर पहले ही अमेरिका नाराजगी जाहिर कर चुका है और अब ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर यह सख्ती भारत-अमेरिका संबंधों में नई खटास का संकेत दे सकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस अमेरिकी कार्रवाई पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है और क्या इन कंपनियों की ओर से कोई सफाई या कानूनी कार्रवाई की जाती है। वहीं अमेरिका ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में इस तरह के और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
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