कमजोर किडनी से जंग में परहेज़ ही सबसे बड़ा हथियार है

सावधानी से ही रोका जा सकता है डायलिसिस का खतरा। सुरक्षा के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. धर्मेंद्र ने बताया परहेज़ का पूरा फार्मूला
Khabari Chiraiya Desk मुजफ्फरपुर : अगर आपका क्रिएटिनिन स्तर 1.5 mg/dl से ऊपर है और आप डायलिसिस की ओर बढ़ रहे हैं तो रुकिए! एक नई उम्मीद की किरण लेकर आए हैं किडनी हॉस्पिटल, ब्रह्मपुरा के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद। उन्होंने किडनी रोगियों के लिए बेहद जरूरी और व्यावहारिक जीवनशैली और खानपान से जुड़ी गाइडलाइन जारी की है, जो डायलिसिस से पहले की स्थिति में काफी राहत देने वाली साबित हो सकती है।
डॉ. प्रसाद ने स्पष्ट किया कि ऐसे मरीजों को हाई प्रोटीन डाइट नहीं लेनी चाहिए। नमक और पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बनाकर ही किडनी की स्थिति को स्थिर रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि पोटैशियम का स्तर 5.0 से अधिक हो तो फलों का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। मरीजों को भोजन पकाने के बाद ऊपर से नमक डालने से परहेज़ करने की सलाह दी गई है। जहां तक संभव हो, सादा नमक के बजाय सीमित मात्रा में सेंधा नमक का उपयोग करें।
डॉक्टर ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, बथुआ, चौलाई, साथ ही केला, नारियल पानी, सूखे मेवे, मूली और कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें किडनी के लिए खतरनाक हो सकती हैं। वहीं बाजार में मिलने वाले प्रोसेस्ड फूड…जैसे बेकरी प्रोडक्ट, चिप्स, नमकीन, अचार, नॉनवेज फूड, रेड मीट, और अति मसालेदार सब्जियां…पूरी तरह से वर्जित हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि फल और सब्जियां हमेशा छीलकर उपयोग करें, क्योंकि छिलके में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। सब्जियों को पकाने से पहले “लीचिंग प्रक्रिया” अपनाना अनिवार्य है। इसमें पहले सब्जी को काटकर 4-5 बार धोया जाता है, फिर गर्म पानी में आधे घंटे भिगोया जाता है और इसके बाद उसी पानी को फेंक कर ताजा पानी में पकाया जाता है। यह प्रक्रिया सब्जियों में मौजूद अतिरिक्त पोटैशियम को काफी हद तक निकाल देती है।
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कम पोटैशियम वाले फल जैसे सेब, पपीता, जामुन और सीमित मात्रा में अनार आदि को शामिल किया जा सकता है। सब्जियों में लौकी, कद्दू, तुरई, परवल, फूलगोभी, टिंडा जैसे विकल्प मरीजों के लिए सुरक्षित माने गए हैं। दालों में मूंग, मसूर और छिलका उरद दाल को सीमित मात्रा में लिया जा सकता है। वहीं डायबिटिक किडनी मरीजों को सिर्फ शुगर फ्री पाउडर का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद ने विशेष चेतावनी देते हुए कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पेनकिलर या दर्द निवारक दवाएं, एनएसएआईडी या सीटी स्कैन में इस्तेमाल होने वाली डाई (Contrast dye) का प्रयोग बिल्कुल न करें। ये किडनी को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
किडनी रोगियों को अपने भोजन की आदतों को लेकर बेहद सतर्क रहने की ज़रूरत है। यह छोटी-सी सतर्कता उन्हें डायलिसिस से काफी समय तक दूर रख सकती है। कोई भी परहेज या इलाज डॉक्टर की सलाह से ही करें।
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