October 22, 2025

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आठ लोगों की जान बचा सकता है एक दाता

  • अंगदान न केवल जीवन बचाता है, बल्कि उम्मीद की लौ जलाकर अनगिनत परिवारों को नया सवेरा देता है

Khabari Chiraiya Desk: हर साल 13 अगस्त को दुनिया भर में विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। एक ऐसा दिन, जो हमें जीवन और मानवता के उस अनमोल पहलू की याद दिलाता है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी किसी और की जिंदगी रोशन कर सकता है। इस वर्ष की थीम “Answering the Call” है, जो केवल डॉक्टरों और नर्सों के पेशेवर दायित्व को नहीं, बल्कि आम लोगों की भागीदारी को भी रेखांकित करती है। यह संदेश देता है कि हर हाथ जो मदद के लिए आगे बढ़ेगा, वह किसी की सांसें लौटा सकता है, किसी का धड़कता दिल वापस ला सकता है और किसी के घर में फिर से खुशियों का चिराग जला सकता है।

अंगदान की अवधारणा कोई आज की खोज नहीं है, बल्कि चिकित्सा इतिहास में यह एक लंबी और प्रेरणादायक यात्रा रही है। 1954 में अमेरिका में डॉक्टर जोसेफ मरे ने जब पहली बार एक जीवित डोनर से किडनी प्रत्यारोपण किया तो यह केवल एक सर्जरी नहीं थी…यह भविष्य के चिकित्सा चमत्कारों का द्वार खोलने वाला ऐतिहासिक क्षण था। उस सफलता ने आगे हार्ट, लिवर, फेफड़े और अन्य अंगों के प्रत्यारोपण को संभव बनाया और दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए जीवन की नई संभावना पैदा की।

भारत में अंगदान का इतिहास भी प्रेरणादायक है। 3 अगस्त 1994 को देश का पहला सफल मृतक दाता हृदय प्रत्यारोपण हुआ, जिसने चिकित्सा विज्ञान में नई इबारत लिखी। इसी ऐतिहासिक घटना को याद रखने के लिए 2023 में सरकार ने राष्ट्रीय अंगदान दिवस की तारीख 27 नवंबर से बदलकर 3 अगस्त कर दी। यह बदलाव केवल एक कैलेंडर की तिथि नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक है कि हम अंगदान के महत्व को न केवल याद रखें, बल्कि इसे अपनाएं भी।

हालांकि, चुनौती अब भी बनी हुई है। अमेरिका के यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (UNOS) के आंकड़े बताते हैं कि वहां हजारों मरीज जीवन रक्षक प्रत्यारोपण के इंतजार में हैं, लेकिन दाताओं की संख्या बेहद कम है। हर एक दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है और 75 से ज्यादा लोगों का जीवन बेहतर बना सकता है। यह आंकड़ा अपने आप में बताता है कि अंगदान को क्यों जीवन का सबसे बड़ा उपहार कहा जाता है।

हमारे समाज में अब भी अंगदान को लेकर गलतफहमियां, डर और धार्मिक-सांस्कृतिक संकोच मौजूद हैं। कई बार परिवार कठिन भावनात्मक क्षणों में यह निर्णय लेने से हिचकते हैं, जबकि यही वह पल होता है जब किसी दूसरे परिवार के जीवन की डोर थामने का अवसर होता है। जरूरत है जागरूकता की, संवाद की, और सबसे बढ़कर, संवेदनशीलता की।

इस विश्व अंगदान दिवस पर हमें यह वचन देना चाहिए कि हम न केवल खुद अंगदान के लिए तैयार रहेंगे, बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक मंचों पर इस विषय पर खुली चर्चा होनी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इसे एक सामान्य और मानवीय कर्तव्य की तरह अपनाएं।

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