नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के आरोपों को किया खारिज

- मुख्य चुनाव आयुक्त बोले-वोट चोरी का आरोप जनता को गुमराह करने की कोशिश, आयोग सबके लिए समान
Khabari Chiraiya Desk : देश में लगातार बढ़ते राजनीतिक घमासान के बीच रविवार को चुनाव आयोग ने खुलकर विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए साफ कहा कि आयोग का किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए न कोई पक्ष है, न विपक्ष, बल्कि सभी दल और सभी मतदाता एक समान हैं।
राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए थे। इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इतने विशाल लोकतांत्रिक अभ्यास में चोरी की संभावना ही नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, दस लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट और बीस लाख से अधिक पोलिंग एजेंट तैनात रहते हैं। ऐसे में किसी एक के लिए वोट चुराना संभव नहीं। उन्होंने चुनौती दी कि जिन नेताओं ने डबल वोटिंग या गड़बड़ी का आरोप लगाया है, वे सबूत पेश करें। बिना सबूत लगाए गए आरोप जनता को गुमराह करने के प्रयास हैं।
बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर उठे सवाल
बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पर भी विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि सात करोड़ से अधिक मतदाता, बूथ स्तर के अधिकारी और विभिन्न राजनीतिक दल मिलकर इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में जुटे हैं। सत्यापन, हस्ताक्षर और वीडियो प्रशंसापत्र जैसे कदम उठाए जा रहे हैं ताकि किसी भी मतदाता की पहचान को लेकर संदेह न रहे। आयोग का दावा है कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह सफल होगी और बिहार में मतदाता सूची की शुद्धता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगेगा।
निजता और संवेदनशीलता का मुद्दा
ज्ञानेश कुमार ने मतदाताओं की तस्वीरें और सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने की प्रवृत्ति पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि क्या किसी मां, बहू या बेटी की निजी तस्वीरों को मीडिया में प्रसारित करना उचित है? मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, केवल वही वोट डाल सकते हैं। ऐसे में फुटेज या तस्वीरें जारी करना मतदाताओं की निजता का उल्लंघन है और यह लोकतांत्रिक शिष्टाचार के खिलाफ है।
कानूनी प्रावधानों की याद दिलाई
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार यदि किसी मतदाता सूची में त्रुटि पाई जाती है तो समय रहते आपत्ति दर्ज करानी चाहिए। किसी उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती देने के लिए मतदाता को 45 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी होती है। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती और बाद में ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जाता है, तो यह संविधान और लोकतंत्र दोनों का अपमान है।
विदेशी नागरिकों पर रोक
ज्ञानेश कुमार ने यह भी दोहराया कि भारत का संविधान केवल भारतीय नागरिकों को विधायक और सांसद चुनने का अधिकार देता है। यदि किसी अन्य देश के नागरिक ने गलती से गणना फॉर्म भर दिया है तो SIR प्रक्रिया में उनसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। 30 सितंबर तक सभी मामलों की जांच पूरी कर ली जाएगी और जिनकी भारतीय नागरिकता साबित नहीं होगी, उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा।
विपक्ष की राजनीति पर टिप्पणी
चुनाव आयोग प्रमुख ने कहा कि कुछ दल आयोग के कंधों पर बंदूक रखकर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी दलों को समान अधिकार हैं, लेकिन आधारहीन आरोप लगाना न तो आयोग के लिए उचित है और न ही देश के मतदाताओं के लिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि चुनाव आयोग गरीब हो या अमीर, महिला हो या पुरुष, युवा हो या बुजुर्ग, सभी वर्गों के मतदाताओं के साथ खड़ा है और रहेगा।
आयोग की विश्वसनीयता पर भरोसा
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जब लाखों कर्मचारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं, करोड़ों मतदाता भरोसे के साथ मतदान में भाग ले रहे हैं तो आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है और इसे कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश को नाकाम किया जाएगा।
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