September 5, 2025

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हरतालिका तीज @ सुहागिनों के लिए आस्था और श्रद्धा का पर्व

  • भाद्रपद शुक्ल तृतीया का पावन व्रत 26 अगस्त को पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाएगा

Khabari Chiraiya Desk: हरतालिका तीज का पर्व हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 25 अगस्त सोमवार की दोपहर में प्रारंभ होगी और 26 अगस्त मंगलवार को दोपहर लगभग 1:54 बजे समाप्त होगी। चूंकि व्रत और त्यौहारों में उदयातिथि को प्रधानता दी जाती है, इसलिए मान्यता के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को ही रखा जाएगा। यही वह दिन है जब सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर शुद्ध वस्त्र धारण करती हैं और पारंपरिक विधि से व्रत का संकल्प लेती हैं।

सुबह के समय हरतालिका तीज की पूजा का शुभ समय 5:56 बजे से 8:31 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त 11:57 बजे से 12:48 बजे तक प्राप्त होगा। दोपहर के बाद भी यदि पूजा न हो पाए तो प्रदोषकाल सर्वोत्तम माना गया है। इस बार सूर्यास्त का समय 6:49 बजे है, जिसके बाद प्रदोषकाल आरंभ होगा और इसी काल में शिव-पार्वती और गणेश जी की आराधना श्रेष्ठ मानी जाती है।

हरतालिका तीज का व्रत केवल उपवास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गहन धार्मिक आस्था और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना छिपी रहती है। व्रत विधि के अंतर्गत महिलाएं पहले मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाएँ बनाती हैं और उन्हें लाल वस्त्र बिछी चौकी पर प्रतिष्ठित करती हैं। पूजा का आरंभ गणेश जी की वंदना से होता है। इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित किया जाता है और भगवान शिव का बेलपत्र, चंदन, अक्षत व फल-फूल से अभिषेक कर पूजन किया जाता है। व्रती महिलाएं व्रत कथा का पाठ करती हैं और अंत में भगवान गणेश तथा शिव-पार्वती की आरती कर संकल्प पूरा करती हैं।

इस वर्ष हरतालिका तीज के दिन साध्य योग, शुभ योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। विशेषकर रवि योग को दोष-नाशक और अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस योग में किए गए व्रत और पूजन का फल कई गुना बढ़ जाता है। यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं इस पर्व को अत्यंत श्रद्धा से करती हैं ताकि उनके दांपत्य जीवन में सुख, सौभाग्य और लंबी आयु बनी रहे।

व्रत का पारण 27 अगस्त को सूर्योदय के बाद किया जाएगा। सुबह 5:57 बजे से व्रती महिलाएं उपवास का समापन कर सकती हैं और जल ग्रहण कर व्रत पूर्ण करेंगी। इसके बाद फलाहार या सात्त्विक भोजन ग्रहण किया जाएगा। हरतालिका तीज का यह पर्व केवल परंपरा का निर्वाह नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है।

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