भारत–फिजी रिश्तों में नई उड़ान : भारत और फिजी के प्रधानमंत्रियों की वार्ता ने द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी

- सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कृषि ड्रोन, साइबर सुरक्षा केंद्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी घोषणाओं ने भारत–फिजी रिश्तों में गहराई और व्यापकता ला दी
Khabari Chiraiya Desk: नई दिल्ली : भारत और फिजी ने संबंधों में नई ऊर्जा भरते हुए स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि, शिक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में गहरे सहयोग का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका के बीच हुई व्यापक वार्ताओं ने न केवल द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा दी, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी साझा दृष्टिकोण पेश किया। इस दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े शब्दों में निंदा की, जलवायु परिवर्तन के समाधान में एक-दूसरे का साथ देने का भरोसा जताया और लोगों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को और गहरा करने की प्रतिबद्धता दिखाई।
आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, जलवायु और ऊर्जा साझेदारी में नए कदम
भारत और फिजी ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद को हर रूप में खतरनाक बताया और कट्टरपंथ, आतंकी वित्तपोषण तथा नई तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई। दोनों देशों ने वैश्विक मंचों पर मिलकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने का वादा किया। साथ ही जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में नई पहलें हुईं। फिजी में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और STAR-Centre की स्थापना, बायोफ्यूल्स और सौर ऊर्जा में सहयोग और स्वच्छ ऊर्जा समाधान से सतत विकास की दिशा में साझा कदम बढ़ाए गए।
रक्षा, व्यापार और विकास सहयोग से रिश्तों को गहराई
भारत ने फिजी की समुद्री सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने का आश्वासन दिया और रक्षा सहयोग के तहत दो एम्बुलेंस तथा साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र की घोषणा की। कृषि क्षेत्र में भारत ने उच्च गुणवत्ता वाले बीज, 12 कृषि ड्रोन और मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं देने का निर्णय लिया। स्वास्थ्य क्षेत्र में ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा, जन औषधि केंद्र और जयपुर फुट कैंप जैसी योजनाओं से फिजी को सीधा लाभ मिलेगा। व्यापारिक मोर्चे पर भी दोनों देशों ने आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और निवेश बढ़ाने पर जोर दिया।
संस्कृति, शिक्षा और ग्लोबल साउथ में साझा नेतृत्व
दोनों देशों ने यह माना कि लोगों के बीच रिश्ते ही सबसे मजबूत कड़ी हैं। इसी भावना से माइग्रेशन एंड मोबिलिटी समझौते पर सहमति बनी, जिससे छात्रों और पेशेवरों का आदान-प्रदान आसान होगा। हिंदी-संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति, गीता महोत्सव में फिजी के पंडितों की भागीदारी और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना से जुड़ाव और गहरा होगा। वैश्विक मंचों पर भी फिजी ने भारत को समर्थन दिया…चाहे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की दावेदारी हो या इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव का हिस्सा बनना। ‘Ocean of Peace’ की अवधारणा और भारत की ग्लोबल साउथ नेतृत्वकारी भूमिका ने इस साझेदारी को वैश्विक स्तर पर और प्रासंगिक बना दिया।
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