October 21, 2025

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हर तरफ गूंज रहा गणपति बप्पा मोरया, देश भर में हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा गणेश चतुर्थी का पर्व

  • दस दिवसीय उत्सव 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के साथ संपन्न होगा

Khabari Chiraiya Desk: भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी पर आज गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। बुद्धि और विघ्नविनाशक माने जाने वाले गणेश की आराधना से कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होने और सफलता की राह सुगम बनने की मान्यता है। शास्त्र गणपति को बुद्धि के देवता कहते हैं-उनकी कृपा से सद्बुद्धि, व्यापार में उन्नति और करियर में बेहतर परिणाम का विश्वास मजबूत होता है। भादों माह को उनकी कृपा का श्रेष्ठ काल माना गया है, इसलिए श्रद्धालु आज विशेष उत्साह से पूजा-विधि निभा रहे हैं।

भक्तजन सुबह से घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में गणपति की प्रतिमाएं स्थापित कर आरती, भजन-कीर्तन और स्तुति कर रहे हैं। ढोल-नगाड़ों की थाप और गणपति बप्पा मोरया के जयघोष से गलियां रंग उठी हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि दस दिनों तक चलने वाले इस गणेशोत्सव से जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और संरचनात्मक अनुशासन आता है।

चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर हुआ था और समापन आज 27 अगस्त 2025 को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर है। उदया तिथि के अनुसार पर्व आज मनाया जा रहा है। विशेष बात यह कि आज बुधवार है-यह संयोग गणपति आराधना को और शुभ माना जाता है।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार आज गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहा। इसी समयावधि में बड़ी संख्या में भक्तों ने विधि-विधान से पूजा की, मोदक का नैवेद्य चढ़ाया और विघ्नहर्ता से नई शुरुआत का आशीर्वाद मांगा।

आज से अगले दस दिनों तक गणपति की अर्चना, आरती, कथा-श्रवण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला चलेगा। शास्त्रीय संगीत, भजन-मंडलियों और बाल कलाकारों के प्रदर्शन से पंडालों में रौनक बढ़ी हुई है। महिलाएं पारंपरिक व्यंजन बना रही हैं और युवा स्वयंसेवक व्यवस्था संभाल रहे हैं। पूरे उत्सव का समापन 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के दिन भव्य शोभा यात्राओं के साथ विसर्जन से होगा, जहां आस्था और भावुक विदाई साथ-साथ दिखाई देगी।

गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है, क्योंकि हर शुभ कर्म से पहले विघ्न का निवारण आवश्यक समझा गया। जीवन-प्रबंधन के संदर्भ में यह पर्व अनुशासन, बुद्धि-विवेक और दृढ़ संकल्प का पाठ पढ़ाता है। व्यापारी वर्ग आज बही-खातों की पूजा करता है, विद्यार्थी नई पढ़ाई की शुरुआत का संकल्प लेते हैं और परिवार अपने घरेलू कामों में सामंजस्य और सतर्कता का नियम बनाते हैं।

गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश-विदेश में बसे भारतीयों को बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ज्ञान, कल्याण और नई शुरुआत का संदेश देता है। उन्होंने आग्रह किया कि उत्सव पर्यावरण-मित्र तरीके से मनाया जाए-इको-फ्रेंडली प्रतिमाएं, सीमित रंग-रसायन, स्वच्छ विसर्जन स्थल और प्लास्टिक-मुक्त आयोजन ताकि भक्ति के साथ प्रकृति का संतुलन भी सुरक्षित रहे

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