October 22, 2025

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मां, तुम्हारे भरोसे पर नहीं उतर पाई

  • हॉस्टल के कमरे का दरवाज़ा जब तोड़ा गया तो भीतर जिंदगी की सबसे दर्दनाक तस्वीर थी…खुशी कुमारी फंदे से झूल चुकी थी

Khabari Chiraiya Desk पटना : बोरिंग रोड स्थित कस्तूरबा पथ के एक छोटे से हॉस्टल का कमरा अचानक सुनसान हो गया। किताबें खुली रह गईं, नोट्स आधे-अधूरे पन्नों पर ठहर गए और दीवारों पर टंगे सपनों के पोस्टर अब जैसे मौन खड़े रह गए। दरवाज़ा जब तोड़ा गया तो भीतर जिंदगी की सबसे दर्दनाक तस्वीर थी…खुशी कुमारी फंदे से झूल चुकी थी।

मां के लिए आखिरी खत

उस कमरे से मिला सुसाइड नोट किसी भी मां का दिल चीरकर रख दे। खुशी ने लिखा-“मां, तुम्हारे भरोसे पर नहीं उतर पाई। बीपीएससी नहीं निकल पाएगा। मैं बहुत परेशान हो गई हूं। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।” इन पंक्तियों के आगे स्याही धुंधली थी, जैसे लिखते-लिखते आंखों से आंसू टपक पड़े हों। यह उन अनकहे संघर्षों का बयान था, जिन्हें खुशी भीतर ही भीतर झेल रही थी।

नवादा से पटना तक की यात्रा

नवादा जिले के नारदीगंज की बेटी खुशी सरकारी कर्मचारी माता-पिता की संतान थी। मां शिक्षिका थीं, पिता भी नौकरी में। घरवालों की उम्मीदें ऊंची थीं…बेटी बीपीएससी पास कर अधिकारी बनेगी। खुशी भी इसी ख्वाब के सहारे पटना आई थी। एक साल से हॉस्टल में रहकर तैयारी कर रही थी। उसके सपनों में नौकरी ही नहीं, मां-पिता के गर्व की चमक भी शामिल थी।

दरवाज़े पर दस्तक और अंदर मौत

सुबह हॉस्टल संचालक ने सभी छात्राओं को नाश्ते के लिए बुलाया। खुशी का दरवाज़ा खटखटाने पर भी कोई जवाब नहीं आया। संदेह बढ़ा तो मां को फोन लगाया गया। मां के आने पर पुलिस को बुलाया गया। दरवाज़ा तोड़ा गया तो सामने बेटी का निर्जीव शरीर झूल रहा था। उसी क्षण मां की चीखें पूरे हॉस्टल में गूंज उठीं…जैसे जिंदगी से सबकुछ छिन गया हो।

मां का टूटना और खामोश विदाई

सचिवालय डीएसपी साकेत कुमार ने बताया कि खुशी की मां ने केस दर्ज कराने से इनकार कर दिया। उनकी आवाज़ में सिर्फ एक टूटा हुआ दर्द था-“मुझे कुछ नहीं करना है।” पोस्टमार्टम के बाद बेटी का शव उन्हें सौंप दिया गया। मां के आंचल में लौट आई वो काया, लेकिन अब न सांस थी, न सपने।

सपनों का बोझ और जिंदगी का सबक

खुशी की कहानी सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं है। यह उन तमाम बच्चों का सच है जो किताबों और प्रतियोगिता की दौड़ में हर दिन दबाव झेलते हैं। सपनों का बोझ कभी इतना भारी नहीं होना चाहिए कि जिंदगी ही उससे हार जाए।

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