December 22, 2025

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हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने से गांव-शहर तबाह

  • हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों से लेकर घाटियों तक तबाही का मंजर
  • सड़कें टूट गईं, पुल बह गए और हजारों लोग बेघर हो गए

Khabari Chiraiya Desk : दिल्ली : हिमाचल प्रदेश इस साल ऐसे मानसून से जूझ रहा है जिसने राज्य की रफ्तार थाम दी है और हर गांव-शहर में तबाही का मंजर छोड़ दिया है। जून 2025 से लगातार हो रही बारिश ने पहाड़ों को तोड़ दिया, नदियों को उफान पर ला दिया और इंसानी जिंदगी को भय और संघर्ष के बीच धकेल दिया। यह आपदा सिर्फ बारिश की कहानी नहीं है, यह जलवायु परिवर्तन और हमारी तैयारी की परीक्षा भी है।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट बताती है कि 409 लोगों की जान गई है। इनमें से 229 लोग सीधे भूस्खलन, बादल फटने, डूबने और घर गिरने जैसी घटनाओं के शिकार बने, जबकि 180 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। ये सड़क हादसे सिर्फ फिसलन का नतीजा नहीं थे, बल्कि खराब रोशनी, धुंध और समय पर मलबा हटाने में प्रशासन की नाकामी ने इन्हें और घातक बना दिया।

घायल, लापता और जीवन का बिखराव

इस आपदा में 473 लोग घायल हुए और 41 लोग अब भी लापता हैं। हजारों परिवार अपने प्रियजनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। 2,100 से ज्यादा पशुओं और 26,955 मुर्गियों की मौत ने ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी छीन ली है।

उजड़े घर और ढही छतें

5,164 घर पूरी तरह मिट्टी में मिल गए और 2,743 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 899 दुकानों और 4,297 मजदूरों की झोपड़ियों के ढहने से हजारों परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। यह केवल संपत्ति का नुकसान नहीं बल्कि मानव जीवन की स्थिरता को हिला देने वाला संकट है।

टूटी सड़कें और ठप हुआ तंत्र

8,896 सड़कों के टूटने से राज्य का संपर्क व्यवस्था चरमरा गई है। 6,147 जलापूर्ति योजनाएं और 87 पुल क्षतिग्रस्त होने से लोग पीने के पानी तक को तरसने लगे हैं। यह संकट सिर्फ राहत कार्यों को धीमा नहीं कर रहा, बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी ठप कर रहा है।

4500 करोड़ से ज्यादा का आर्थिक झटका

राज्य सरकार के मुताबिक कुल आर्थिक नुकसान 4,50,444.91 लाख रुपये से ऊपर पहुंच गया है। यह हिमाचल जैसे छोटे राज्य के लिए वित्तीय संकट की तरह है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ आपदा नहीं बल्कि भविष्य में और बड़ी चुनौतियों का संकेत है, जिसके लिए राज्य को नई रणनीतियां, आधुनिक चेतावनी सिस्टम और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है।

सीख और चेतावनी

यह आपदा हमें बताती है कि पर्वतीय राज्यों के लिए आपदा प्रबंधन अब विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्यता है। आने वाले समय में ऐसे संकट और गहरे हो सकते हैं, इसलिए समय रहते चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करना, पहाड़ी निर्माण को वैज्ञानिक बनाना और प्रशासनिक प्रतिक्रिया को तेज करना ही भविष्य की जान-माल की हानि को रोक सकता है।

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