दशहरे पर नीलकंठ पक्षी दिखना क्यों माना जाता है शुभ

- मान्यता है कि रावण वध से पहले राम को भी नीलकंठ के दर्शन हुए थे, इसी वजह से हर साल इस दिन इसका दिखना सौभाग्यशाली माना जाता है
Khabari Chiraiya Desk : भारतवर्ष में दशहरा केवल रावण दहन का पर्व नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि जिस प्रकार त्रेतायुग में भगवान राम ने लंका विजय से पूर्व नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे, उसी तरह आज भी इस दिन नीलकंठ को देखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंग
कथाओं में वर्णित है कि रावण वध के उपरांत भगवान राम ने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए शिवजी की आराधना की थी। उस समय महादेव ने नीलकंठ स्वरूप में उन्हें दर्शन दिए। समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तभी उनका कंठ नीला हुआ और उन्हें नीलकंठ की उपाधि प्राप्त हुई। इसी कारण दशहरे पर इस पक्षी का दिखना शिव कृपा का प्रतीक माना जाता है।
लोकमान्यता और शुभ संकेत
ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरों तक दशहरे के दिन लोग सुबह-सुबह नीलकंठ के दर्शन की कामना करते हैं। विश्वास है कि यह दृश्य जीवन में सौभाग्य और समृद्धि का संदेश लाता है। यह संकेत देता है कि व्यक्ति की किस्मत खुलने वाली है और उसके रुके हुए कार्य सफल होंगे। साथ ही, घर-परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि भी होती है।
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