कर्नाटक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में जन्मे नवजात के पेट में मिला अधूरा भ्रूण

- ‘फीटस इन फीटस’ कहलाने वाली यह स्थिति बेहद दुर्लभ मानी जाती है और आम भाषा में इसे परजीवी जुड़वां समझा जा सकता है
Khabari Chiraiya Desk : कर्नाटक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में जन्मे एक नवजात की रुटीन जांच ने डॉक्टरों को चौंका दिया। अल्ट्रासाउंड और अन्य स्कैन में साफ हुआ कि बच्चे के पेट के अंदर ही एक और अधूरा भ्रूण मौजूद है। चिकित्सा विज्ञान में इसे फीटस इन फीटस कहा जाता है, जब जुड़वां गर्भावस्था के दौरान एक भ्रूण पूरी तरह विकसित न होकर दूसरे भ्रूण के शरीर के भीतर रह जाता है।
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. ईश्वर हसाबी ने बताया कि प्रसूता कुंडागोल तालुका की निवासी हैं और गर्भावस्था के दौरान उनकी नियमित जांचें होती रहीं। जन्म के बाद शिशु की जांच में पेट के भीतर रीढ़ और खोपड़ी जैसी आंशिक संरचनाएं दिखाई दीं, जो अपूर्ण विकसित भ्रूण का संकेत हैं। टीम के अनुसार मां और नवजात दोनों स्थिर हैं और विशेषज्ञों की निगरानी में हैं।
डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि यह मामला नवजात के पेट में मौजूद परजीवी जुड़वां का है, न कि दो बच्चों के जन्म का। ऐसे मामलों में उपचार का निर्णय शिशु की समग्र स्थिति, संरचनाओं के आकार और दबाव जैसे कारकों को देखकर लिया जाता है। अस्पताल की टीम आवश्यक परीक्षणों के बाद वैज्ञानिक जर्नल में केस रिपोर्ट प्रकाशित करने की तैयारी में है, ताकि इस दुर्लभ स्थिति पर आगे शोध को बढ़ावा मिल सके।
कर्नाटक में इस तरह की चिकित्सा विरलता का जिक्र इस साल फरवरी 2025 में भी हुआ था, जब बेलगावी के KLES डॉ. प्रभाकर कोरे अस्पताल में फीटस इन फीटस का मामला दर्ज किया गया था और शल्यक्रिया के माध्यम से अंदर मौजूद संरचना को हटाया गया था। वर्तमान केस में भी चिकित्सक सावधानीपूर्वक निगरानी और चरणबद्ध जांच के साथ अगला कदम तय करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि फीटस इन फीटस अत्यंत दुर्लभ है और अक्सर शिशु के पेट में गांठ जैसी वृद्धि के रूप में सामने आता है। आम पाठकों के लिए सरल समझ यह है कि यह एक भ्रूण के अंदर दूसरा अधूरा भ्रूण होता है, जो स्वतंत्र जीवनक्षम नहीं होता और चिकित्सा मानकों के अनुसार सुरक्षित तरीके से प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है।
फिलहाल अस्पताल प्रशासन ने परिवार की निजता का सम्मान करने की अपील की है और कहा है कि किसी भी आधिकारिक मेडिकल अपडेट की जानकारी संस्थान की ओर से साझा की जाएगी।
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