तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने पर फिर मतभेद, महागठबंधन में फंसा फैसला

- कांग्रेस नेता उदित राज के बयान ने इस असहमति को और स्पष्ट कर दिया है
Khabari Chiraiya Desk : पटना से खबर है कि बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान की घोषणा कर दी है। पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को और दूसरे चरण की 11 नवंबर को होगी। नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। चुनावी तारीखें तय होने के बाद अब महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर खींचतान फिर से उभर आई है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) लगातार यह मांग कर रहा है कि महागठबंधन तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करे। पार्टी का कहना है कि तेजस्वी यादव ही वह चेहरा हैं जो युवाओं और आम जनता में सबसे अधिक स्वीकार्यता रखते हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को जो 75 सीटें मिली थीं, उसका श्रेय भी काफी हद तक तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता को दिया गया था। लेकिन महागठबंधन की दूसरी बड़ी सहयोगी कांग्रेस इस प्रस्ताव को लेकर सहज नहीं दिख रही। कांग्रेस ने बार-बार यह संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय करने का अधिकार ‘इंडिया ब्लॉक’ के साझा मंच के पास है, किसी एक दल के पास नहीं।
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि “तेजस्वी यादव राजद के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन इंडिया ब्लॉक का मुख्यमंत्री चेहरा सामूहिक रूप से तय किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि किसी पार्टी के समर्थक अपने नेता को सीएम फेस घोषित कर सकते हैं, परंतु गठबंधन में अंतिम निर्णय सभी दलों की सहमति से ही होगा। उदित राज के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस फिलहाल तेजस्वी के नाम पर राजी नहीं है। इससे पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यह इशारा किया था कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जल्दबाजी से गठबंधन के भीतर भ्रम की स्थिति बन सकती है।
हाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक मंच पर मौजूद थे, तब पत्रकारों ने यह सवाल पूछा था कि क्या तेजस्वी को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा बनाया जाएगा। इस पर राहुल गांधी ने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा था, “इंडिया ब्लॉक के सभी दल एकजुट हैं, हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जनता हमें जीताएगी।” यह जवाब भले ही कूटनीतिक था, लेकिन इससे यह संकेत जरूर मिला कि कांग्रेस अभी किसी एक नाम पर अंतिम मुहर लगाने के मूड में नहीं है।
दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं तेजस्वी
तेजस्वी यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के पुत्र हैं। वे दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश में विपक्ष के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाकर युवाओं में लोकप्रियता हासिल की थी।
महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल
चुनाव से पहले इस तरह के बयानबाज़ी से यह संकेत मिलता है कि महागठबंधन के भीतर रणनीतिक मतभेद गहराते जा रहे हैं। जहां राजद जल्द से जल्द तेजस्वी को गठबंधन का चेहरा बनाना चाहता है, वहीं कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल सामूहिक नेतृत्व के पक्ष में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो इसका असर गठबंधन के वोट शेयर और चुनावी तैयारी पर पड़ सकता है।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अगले कुछ हफ्तों में कांग्रेस और राजद के बीच क्या सहमति बनती है, या यह मुद्दा चुनाव के ठीक पहले तक उलझा रहता है।
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