धरती की ऊपरी परत में सोने का खजाना, दस लाख टन अब भी छिपा है

- इंसान अब तक उसका केवल एक छोटा अंश यानी करीब 2.44 लाख टन ही निकाल पाया है
Khabari Chiraiya Desk: धरती की परतों में जितना सोना छिपा है, वह अब तक इंसान द्वारा खोजे गए सोने से कई गुना अधिक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती की ऊपरी एक किलोमीटर परत में लगभग 10 लाख टन सोना मौजूद है। अब तक मानव सभ्यता ने कुल 2.44 लाख टन सोना ही निकाला है, जो पृथ्वी की संभावित सोने की संपदा का छोटा सा अंश है।
लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर यह सोना आया कहां से? जवाब सीधे अंतरिक्ष से जुड़ा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि सोना धरती पर नहीं बना, बल्कि अरबों साल पहले जब ब्रह्मांड में विशालकाय तारों की टक्कर और सुपरनोवा विस्फोट हुए, तब सोना जैसे भारी तत्वों का निर्माण हुआ। ये धातुएं अंतरिक्ष में बिखर गईं और बाद में जब हमारा सौरमंडल बना तो यही कण धरती में समा गए।
धरती के बनने के दौरान भारी तत्व जैसे सोना और लोहा गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के केंद्र की ओर खिंच गए। सामान्यतः यह सतह तक नहीं पहुंचना चाहिए था, लेकिन करीब चार अरब साल पहले उल्कापिंडों की भारी वर्षा ने पृथ्वी की सतह को हिला दिया। इसी प्रक्रिया में सोना ऊपरी परतों में पहुंचा और धीरे-धीरे हमारे लिए सुलभ बन गया।
आज जो सोना हमें मिलता है, वह चट्टानों के अयस्क (Ore) में या फिर नदी-नालों के तल में जमा रेत में होता है। चट्टानें जब समय और कटाव के साथ टूटती हैं तो उनमें मौजूद सोने के छोटे-छोटे कण अलग होकर बहते पानी के साथ इकट्ठा हो जाते हैं। इसी कारण से भारत जैसे देशों में कई नदियों के किनारे सोने की परतें या कण पाए जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि कभी-कभी भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान भी नई चट्टानों में सोने की परतें बनती हैं। जब धरती के अंदर गर्म पानी और गैसों का दबाव अचानक बढ़ता है तो उनमें घुले खनिज ऊपर की ओर आकर जम जाते हैं। यही प्रक्रिया धीरे-धीरे धरती के गर्भ में नई स्वर्ण-शिराओं (Gold Veins) को जन्म देती है।
मानव सभ्यता में सोने की कहानी भी उतनी ही पुरानी है जितनी खुद मानव की। करीब 6,000 वर्ष पहले मिस्र की सभ्यता ने पहली बार सोने को गहनों और धार्मिक प्रतीकों में इस्तेमाल किया। वहीं भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भी सोने से बने आभूषणों का प्रयोग करते थे। तब से लेकर आज तक यह पीली धातु संपन्नता, सौंदर्य और विश्वास का प्रतीक बनी हुई है।
धरती के गर्भ में छिपे इस “आकाशीय धातु” ने इंसान को जितना मोहित किया है, उतना शायद किसी और तत्व ने नहीं। और सोचने वाली बात यह है कि आपके गले में चमक रही सोने की चेन कभी किसी तारे का हिस्सा रही होगी, जो अरबों साल पहले फटकर ब्रह्मांड में बिखर गया था।
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