December 21, 2025

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सीएमएस-03 लॉन्च के साथ भारत ने फिर बढ़ाया अंतरिक्ष में कदम

  • अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह छोड़ा, इस मिशन से भारत के दूरस्थ और समुद्री इलाकों में संचार सेवाएं और बेहतर होंगी

Khabari Chiraiya Desk: विश्व की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में शुमार भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह अब किसी भी बड़े अंतरिक्ष मिशन को अपने दम पर पूरा करने में सक्षम है। इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने आज देश में निर्मित ‘बाहुबली’ नामक एलवीएम3 रॉकेट से सीएमएस-03 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा, जिससे भारत की तकनीकी क्षमता और ऊंचाई पर पहुंच गई।

सबसे भारी उपग्रह, सबसे बड़ी कामयाबी

सीएमएस-03 उपग्रह का वजन 4410 किलोग्राम है, जो भारत से अब तक छोड़ा गया सबसे भारी संचार उपग्रह है। यह जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया गया है। वहां से यह भारत समेत आस-पास के समुद्री क्षेत्रों में संचार, मौसम निगरानी और नौवहन सेवाएं प्रदान करेगा। इसकी मल्टी-बैंड क्षमता देश की दूरसंचार प्रणाली को और अधिक मज़बूत बनाएगी।

‘बाहुबली’ रॉकेट की ताकत

एलवीएम3 या जीएसएलवी मार्क-III को इसरो का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल माना जाता है। करीब 43.5 मीटर ऊंचे इस रॉकेट में तीन चरण हैं…दो ठोस बूस्टर (S200), तरल ईंधन वाला कोर स्टेज (L110) और क्रायोजेनिक स्टेज (C25), जो उपग्रह को अंतिम कक्षा तक पहुंचाने में मदद करता है। यही रॉकेट चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद तक लेकर गया था।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

इसरो के अनुसार, इस मिशन का उद्देश्य भारत के दुर्गम इलाकों और समुद्री सीमाओं में संचार नेटवर्क को मज़बूती देना है। इससे रक्षा, आपदा प्रबंधन और नागरिक संचार सेवाओं को नई गति मिलेगी। इस सफलता के साथ भारत को भारी उपग्रहों के लिए विदेशी लॉन्च सेवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय

यह एलवीएम3 एम5 की पांचवीं परिचालन उड़ान है। इसरो हर लॉन्च के साथ अपनी तकनीकी दक्षता को और परिष्कृत कर रहा है। आज की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष की दौड़ में केवल हिस्सा नहीं ले रहा, बल्कि अपनी राह खुद बना रहा है-एक आत्मनिर्भर और अग्रणी अंतरिक्ष राष्ट्र के रूप में।


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