December 21, 2025

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पटना : तेजस्वी की चुप्पी टूटी तो राजनीति का तापमान बढ़ा

  • ना तीखा स्वर और ना विरोध की पुरानी शैली फिर भी बयान में छुपा था बड़ा संकेत, चुनावी झटके के बाद विपक्ष अपनी रणनीति को सूक्ष्म रूप में बदल रहा है

Khabari Chiraiya Desk: राजधानी पटना में बिहार की राजनीतिक हवा शपथ समारोह के बाद अचानक बदली हुई महसूस हुई। नीतीश कुमार के दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने के उसी क्षण एक और घटना ने सबका ध्यान खींचा। यह घटना चुनाव में मिली करारी हार से उपजे सन्नाटे को चीरते हुए तेजस्वी यादव की अचानक वापसी थी। कई दिनों तक गायब रहने के बाद तेजस्वी ने पहली बार सोशल मीडिया पर प्रकट होकर नई सरकार को शुभकामना दी। साधारण शब्दों में लिखी गई यह पोस्ट ऊपर से भले सामान्य लगी लेकिन बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि इतने लंबे मौन के बाद आया कोई भी बयान महज बधाई भर नहीं होता।

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार और मंत्रिमंडल के सदस्यों को शुभकामना देते हुए आशा व्यक्त की कि सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा करेगी और सकारात्मक बदलाव देगी। यहां तक सब सामान्य दिखाई देता है लेकिन हर वाक्य में एक ऐसा संतुलन था जिसने इस बयान को बेहद रोचक बना दिया। न तीखा शब्द और न ठंडा तटस्थ स्वर। यह एक ऐसा सुर था जो लगातार राजनीतिक दबाव झेल चुके नेता की नई रणनीति की ओर संकेत देता था।

चुनाव परिणाम के बाद आरजेडी की स्थिति कमजोर हुई है। यहां से पार्टी को अपनी राजनीतिक जमीन को दोबारा तैयार करना होगा। ऐसे समय में तेजस्वी का संतुलित बयान बताता है कि विपक्ष इस बार जल्दबाजी में कोई आक्रामक मोर्चा खोलने के मूड में नहीं है। इस पोस्ट से स्पष्ट है कि तेजस्वी सरकार को उसके वादों के आधार पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं। वह हर फैसले को रिकॉर्ड करेंगे और सही समय पर उसे राजनीतिक मुद्दा बनाएंगे। यह तरीका पुरानी शैली से बिल्कुल अलग है जहां विपक्ष तुरंत सड़क पर उतर आता था।

इसके पीछे एक कारण यह भी समझा जा सकता है कि जनता अब केवल आरोप और प्रत्यारोप से प्रभावित नहीं होती। वह प्रशासनिक क्षमता और उत्तरदायित्व को भी परखती है। इस बदलती सोच को देखते हुए तेजस्वी एक नई राजनीतिक भाषा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। संयमित शब्दों के साथ विपक्ष का दबाव बनाकर रखना एक ऐसी रणनीति है जो लंबे समय में असर दिखा सकती है।

शपथ समारोह का दिन सत्ता पक्ष की ताकत का प्रदर्शन था लेकिन उसी दिन विपक्ष की दिशा का पहला संकेत भी सामने आया। सोशल मीडिया पर तेजस्वी की यह वापसी बताती है कि वे अब लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं। चुनावी हार ने उन्हें खामोश जरूर किया लेकिन निष्क्रिय नहीं। यह संभावना मजबूत है कि वह अब से सरकार के हर कदम पर नजर रखेंगे और समय आने पर उसे राजनीतिक मंच पर मुद्दा बनाएंगे।

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