राष्ट्रपति ने संविधान दिवस पर संसद को दिया ऐतिहासिक संदेश
- कार्यक्रम में प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, दोनों सदनों के नेता और सभी दलों के सांसद उपस्थित रहे
Khabari Chiraiya Desk : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को संविधान सदन के प्रतिष्ठित केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। 11वें संविधान दिवस के अवसर पर पूरे देश में विशेष उत्साह देखा गया, और इस राष्ट्रीय पर्व को उत्सव के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कई केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सहित बड़ी संख्या में सांसद उपस्थित रहे।
स्वागत भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत के संविधान ने देश की संस्कृति, भाषा, परंपरा और विविधता को एक साझा लोकतांत्रिक भावना में पिरोते हुए एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान का निर्माण किया है। उन्होंने संविधान को राष्ट्र की आत्मा बताते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की बुद्धिमत्ता, मूल्यों और सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतीक है।
लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, संविधान के मुख्य शिल्पकार बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और सभी सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उनकी दूरदर्शिता और अथक परिश्रम का परिणाम है कि भारत को ऐसा संविधान मिला, जो हर नागरिक को न्याय, समानता, बंधुत्व और सम्मान सुनिश्चित करता है।
केंद्रीय कक्ष की ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि यही वह स्थान है, जहाँ गहन विचार-विमर्श ने भारत के संवैधानिक ढांचे को आकार दिया। पिछले सात दशकों में संविधान के मार्गदर्शन में प्रगतिशील कानून बने, सामाजिक न्याय की अवधारणा मजबूत हुई और भारत दुनिया के सबसे जीवंत और मज़बूत लोकतंत्रों में से एक बनकर उभरा।
उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में अंकित शब्द हम, भारत के लोग पर जोर देते हुए कहा कि यह 140 करोड़ नागरिकों की सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। आज राष्ट्र का संकल्प 2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है और यह तभी संभव होगा जब प्रत्येक नागरिक संविधान के मूल्यों को अपनाए और उनके पालन के प्रति सजग रहे।
ओम बिरला ने युवाओं से आग्रह किया कि वे संवैधानिक कर्तव्यों का सम्मान करें, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें और ऐसा भारत बनाने में योगदान दें, जो विकास, न्याय, एकता और मानवीय गरिमा का वैश्विक उदाहरण बने।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नौ भाषाओं मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया में संविधान के अनुवादित डिजिटल संस्करणों का विमोचन किया। उन्होंने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के साथ संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ भी कराया, जो देश की संवैधानिक परंपरा और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक रहा।
यह आयोजन देश की संवैधानिक यात्रा, लोकतांत्रिक मजबूती और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रेरक संदेश देता है।
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