बिहार की सियासत में विकास बनाम विवाद
- नई सरकार से उम्मीद है कि वह माफिया तंत्र पर लगाम लगाकर सुशासन की दिशा में निर्णायक कदम उठाएगी
Khabari Chiraiya Desk: क्या भारतीय जनता पार्टी हिंदू मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान और घुसपैठियों के सहारे ही बिहार में राजनीति करेगी? क्या बिहार में भी मंदिर के नीचे मस्जिद खोजने का अभियान चलेगा या बिहार अपने पिछड़ेपन से बाहर निकलेगा? क्या बिहार में बीजेपी का नारा बिहार पकड़ रहा रफ्तार को बीजेपी एक बार सच कर दिखाएगी?
बिहार के विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और अराजकता है। इनका सीधा संबंध जनप्रतिनिधियों और उनके साथ जुड़े ठेकेदार, भू माफिया, शराब के अवैध कारोबारी और बालू माफिया से है। कई जनप्रतिनिधि तो इस मामले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चिन्हित भी हैं। उनके पुराने कारोबार से यह स्पष्ट होता है। अब जबकि जिस पार्टी पर बिहार में कानून व्यवस्था और सुशासन की जिम्मेदारी है, उसी सरकार के मंत्री पर अवैध रूप से जमीन कब्जा करने या खरीदने के कई संगीन मामले सामने आए हैं। चर्चा है कि मुजफ्फरपुर के एक मंत्री ने पहली बार में ही पचास एकड़ से अधिक जमीन एक झटके में खरीदी। इससे पहले भी इसी जिले के एक मंत्री, जो उसी विभाग से जुड़े थे, का नाम एक शराब मामले में आया था। गृह मंत्री सम्राट चौधरी अगर अपने ही दल के कई पदाधिकारियों की कुंडली खंगालेंगे तो एक से एक कहानी सामने आ जाएगी।
मुजफ्फरपुर जैसे महत्वपूर्ण शहर में एक विधान पार्षद महोदय का सर्वदलीय राजनीतिक सिंडिकेट चर्चा में रहता है। शहर में कई भूमि विवाद और राजनीतिक हत्या के मामलों में उनका नाम सामने आ चुका है। ऐसे में नई सरकार के सामने कानून व्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती जमीन से जुड़े कारोबारी हैं। आज सबसे ज्यादा विवाद, सबसे ज्यादा हत्याएं और सबसे ज्यादा ब्लैक मनी का कारण जमीन का कारोबार है। इसी कारोबार की वजह से भूमि और राजस्व विभाग के साथ साथ पुलिस और थाना स्तर पर भी भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है।
पुलिस और माफिया से जुड़ा एक बड़ा सिंडिकेट आजकल बिहार में अवैध शराब के कारोबार से भी बना हुआ है। बालू का सिंडिकेट तो पहले से ही सबसे बड़ा कारोबार रहा है, जिसका राजनीतिक और पुलिस सांठगांठ पुराना है। बालू माफिया वही है जो पुलिस से नहीं डरता और उसकी गाड़ियों से पुलिस तक को कुचल देता है। आजकल यह हिम्मत शराब माफिया में भी देखी जा रही है। जमीन माफिया भी किसी से पीछे नहीं है। किसी का मकान उठा देना, बाउंड्री तोड़ देना, असहाय लोगों की जमीन पर कब्जा कर लेना अब बेहद आसान हो गया है। अखबार रोज ऐसे मामलों से भरे रहते हैं। इसी कारण बिहार में अपराध का डायनामिक और स्टैटिक्स दोनों बदल रहे हैं। नई सरकार को इसे गंभीरता से देखने की जरूरत है।
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