December 21, 2025

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कानपुर: अलख-4 और भारत की निगरानी क्षमता में नया अध्याय

Alakh 4
  • आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप ने अत्याधुनिक माइक्रो ड्रोन विकसित कर रक्षा तकनीक में बड़ा कदम बढ़ाया है।

Khabari Chiraiya Desk : आधुनिक युद्ध और सुरक्षा व्यवस्था में निगरानी की भूमिका निर्णायक होती जा रही है। सीमाओं पर गतिविधियों की जानकारी जितनी तेज और सटीक होगी, सैन्य निर्णय उतने ही प्रभावी होंगे। इसी दिशा में आईआईटी कानपुर से जुड़ा एक भारतीय स्टार्टअप देश की रक्षा तकनीक को नई ऊंचाई पर ले जाता दिख रहा है। बेहद छोटे आकार का ड्रोन अलख-4 इस बात का संकेत है कि भविष्य की सुरक्षा अब भारी हथियारों से अधिक बुद्धिमान तकनीक पर निर्भर करेगी।

अलख-4 को आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर से जुड़े स्टार्टअप एंड्योरएयर ने विकसित किया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर अभिषेक के मार्गदर्शन में तैयार यह ड्रोन खास तौर पर सैन्य निगरानी की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य दुश्मन के ठिकानों और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना है, वह भी बिना अपनी मौजूदगी जाहिर किए।

इस ड्रोन की सबसे बड़ी विशेषता इसका सूक्ष्म आकार है। केवल कुछ इंच लंबा यह उपकरण इतना छोटा है कि सामान्य नजरों से इसे पहचान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि यह दुश्मन के इलाके में बिना किसी हलचल के प्रवेश कर सकता है और वास्तविक समय में सूचनाएं भेज सकता है। निगरानी के क्षेत्र में यह क्षमता किसी भी सैन्य अभियान के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

तकनीकी दृष्टि से अलख-4 को आधुनिक सेंसर और कैमरा सिस्टम से लैस किया गया है। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इंफ्रारेड कैमरे लगाए गए हैं, जो कम रोशनी या पूरी तरह अंधेरे में भी स्पष्ट तस्वीरें भेजने में सक्षम हैं। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां जैसे कोहरा, बर्फ या अत्यधिक ठंड भी इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित नहीं करतीं। इससे सीमावर्ती इलाकों और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है।

अलख-4 की गति और संचालन क्षमता भी इसे खास बनाती है। यह ड्रोन तेज रफ्तार से उड़ान भर सकता है और एक सीमित दायरे में लगातार निगरानी रख सकता है। इसका इस्तेमाल केवल निगरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि आपात स्थिति में छोटे संदेश या हल्का सामान पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है। दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए यह सुविधा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

यह ड्रोन अत्यधिक ठंड और गर्मी दोनों परिस्थितियों में काम करने के लिए तैयार किया गया है। माइनस तापमान से लेकर भीषण गर्मी तक इसकी कार्यक्षमता बनी रहती है। इसका मतलब यह है कि चाहे ऊंचे हिमालयी क्षेत्र हों या रेगिस्तानी इलाके, अलख-4 हर परिस्थिति में भरोसेमंद निगरानी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

अलख-4 का विकास केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक पर बढ़ता भरोसा न केवल आयात पर निर्भरता कम करता है, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की क्षमता को भी वैश्विक मंच पर स्थापित करता है। आईआईटी कानपुर जैसे संस्थानों से निकले ऐसे नवाचार यह दिखाते हैं कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

कुल मिलाकर अलख-4 आने वाले समय में भारतीय सेना की निगरानी रणनीति को अधिक सटीक, सुरक्षित और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह ड्रोन इस बात का संकेत है कि भविष्य की सुरक्षा छोटी लेकिन अत्यंत सक्षम तकनीकों के भरोसे तय होगी।

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