ब्रह्मांड में कैद हुई टक्कर और तबाही की कहानी
- दूर के तारे के पास दिखी जबरदस्त उथल पुथल। एस्टेरॉयड और छोटे ग्रहों की भिड़ंत के संकेत मिले
Khabari Chiraiya Desk: हमारा सौर मंडल आज जितना शांत और संतुलित दिखता है, उसकी शुरुआत उतनी ही हिंसक और अव्यवस्थित मानी जाती है। वैज्ञानिक लंबे समय से मानते रहे हैं कि शुरुआती दौर में एस्टेरॉयड, धूमकेतु और बनते हुए ग्रह लगातार एक-दूसरे से टकरा रहे थे। इन टक्करों से चारों ओर मलबा फैलता था और ग्रहों की सतह पर भारी उथल-पुथल मची रहती थी। अब नासा ने इसी तरह की प्रक्रिया की एक दुर्लभ झलक हमारे सौर मंडल से बाहर दिखा दी है।
नासा के हबल स्पेस टेलिस्कोप ने ब्रह्मांड के एक तारे के चारों ओर मौजूद ग्रह प्रणाली में जोरदार टक्करों के संकेत दर्ज किए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दृश्य ठीक वैसा ही है, जैसा कभी हमारे सौर मंडल के शुरुआती समय में रहा होगा। उस दौर में धरती, चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर अंतरिक्ष से मलबा गिरता था, चारों ओर आग, धूल और विस्फोटों का माहौल बना रहता था।
इस खोज का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के खगोल वैज्ञानिक पॉल कलास ने किया। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका है जब उन्होंने अपने सौर मंडल के बाहर किसी ग्रह प्रणाली में अचानक उभरी रोशनी देखी है। यह रोशनी पहले की हबल तस्वीरों में मौजूद नहीं थी, जिससे संकेत मिलता है कि वैज्ञानिकों ने हाल ही में दो विशाल पिंडों के बीच हुई जबरदस्त टक्कर और उससे बने बड़े मलबे के बादल को देखा है। उनके अनुसार यह दृश्य मौजूदा सौर मंडल में देखी जाने वाली किसी भी घटना से बिल्कुल अलग है।
यह अद्भुत नजारा धरती से करीब 25 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित फोमलहाट नामक तारे के पास देखा गया है। फोमलहाट रात के आसमान के सबसे चमकीले तारों में गिना जाता है और आकार व चमक में सूरज से भी बड़ा माना जाता है। यह तारा कई धूल भरी मलबा पट्टियों से घिरा हुआ है, जो लगातार चल रही खगोलीय गतिविधियों का संकेत देती हैं।
वैज्ञानिकों ने वर्ष 2008 में हबल की मदद से फोमलहाट के आसपास एक संभावित ग्रह की पहचान की थी, जिसे फोमलहाट बी कहा जाता है। इसके चारों ओर मौजूद धूल भरे बादल छोटे ग्रहों या बड़े पिंडों की टक्कर का परिणाम माने जाते हैं। हाल ही में जब हबल ने दोबारा इस क्षेत्र की तस्वीरें लीं तो उसी इलाके में रोशनी का एक और बिंदु नजर आया। इससे यह संकेत मिला कि वहां दूसरी बड़ी टक्कर भी हुई है।
खगोल वैज्ञानिकों के लिए यह खोज इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि पहले के सिद्धांतों के अनुसार इस तरह की बड़ी टक्करों के बीच हजारों या लाखों साल का अंतर होना चाहिए। लेकिन यहां महज 20 साल के भीतर दो बड़ी घटनाएं देखी गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हमारे पास हजारों सालों के ब्रह्मांडीय इतिहास की एक तेज रफ्तार फिल्म होती तो फोमलहाट की यह ग्रह प्रणाली लगातार चमकती और विस्फोटों से भरी नजर आती।
वैज्ञानिक अब इन मलबे के बादलों का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह की घटनाएं ग्रहों के बनने और उनके विकास को समझने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। हबल की यह खोज न केवल ब्रह्मांड के एक नए रहस्य की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ग्रहों का जन्म अक्सर शांति से नहीं, बल्कि हिंसक टक्करों और उथल-पुथल के बीच होता है।
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