लखीमपुर खीरी हिंसा के लिए अजय मिश्रा ने स्थानीय पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
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केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में स्थानीय पुलिस को तिकुनिया गांव में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें आठ लोग मारे गए थे। मंत्री का बेटा इस मामले में मुख्य आरोपी है। वह न्यायिक हिरासत में है और उससे पूछताछ की जा रही है।
मिश्रा ने सिंघा खुर्द गांव में तीन अक्टूबर की हिंसा में मारे गए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन कार्यकर्ताओं के लिए प्रार्थना सभा में भाग लेने के दौरान यह टिप्पणी की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इनमें से एक कार्यकर्ता श्याम सुंदर निषाद जीवित था और एम्बुलेंस तक पहुंचा था, लेकिन पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में उसे खींचकर मार दिया गया। मिश्रा ने यह भी कहा कि उस मार्ग पर कोई अवरोधक नहीं लगाया गया था, जिससे प्रदर्शनकारी आंदोलन करके वापस आ रहे थे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पुलिस ने खुफिया इनपुट के बावजूद इलाके की उचित रेकी नहीं की। मिश्रा ने यह भी कहा कि उस मार्ग पर कोई अवरोधक नहीं लगाया गया था, जिससे प्रदर्शनकारी आंदोलन करके वापस आ रहे थे।
तिकुनिया गांव में एक एसयूवी ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह को कुचल दिया था, जिसमें चार किसानों सहित आठ की मौत हो गई थी। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि मंत्री का बेटा आशीष कार में था और यहां तक कि अजय मिश्रा को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग को लेकर देशव्यापी ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन किया है। अजय मिश्रा सभी आरोपों का खंडन करते रहे हैं दावा किया है कि उस दिन उनका बेटा साइट पर मौजूद नहीं था।
अधिकारी ने कहा कि तिकुनिया गांव में हुई हिंसा की जांच कर रही पुलिस टीम को घटना के 147 से अधिक वीडियो मिले हैं, जिनकी आगे के सुराग के लिए समीक्षा की जा रही है। इनमें से अधिकांश वीडियो प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा पुलिस द्वारा जारी किए गए सेलफोन नंबर पर भेजे गए थे। जांच दल मुख्य गवाह सुमित जायसवाल की गिरफ्तारी के लिए भी छापेमारी कर रहा है, जिसके बारे में माना जा रहा था कि वह एसयूवी में तीन वाहनों के काफिले का नेतृत्व कर रहा था, जिसने प्रदर्शनकारियों को टक्कर मार दी। समन भेजे जाने के बावजूद जायसवाल पुलिस टीम के सामने पेश नहीं हुआ।
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