योगी सरकार ने दलित समाज को जोड़ने के लिए बढ़ाई भावनाओं की डोर, प्रदेश में 31 को भव्य रूप से मनाई जाएगी वाल्मीकि जयंती

- मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी मण्डलायुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर सुनिश्चित की जावबदेही
- जहां उपचुनाव हो रहे हैं, उन जिलों को छोड़कर प्रदेश के अन्य सभी जिलों में किए जाएंगे आयोजन
- मुख्य सचिव ने कहा-महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण सामाजिक मूल्यों, मानव मूल्यों और राष्ट्र मूल्यों की स्थापना के आदर्श हैं
KC NEWS। एक तरफ हाथरस कांड के सहारे जहां विपक्षी दल दलित और भाजपा सरकार के बीच खाई बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की योगी सरकार ने दलित समाज को जोड़ने के लिए भावनाओं की डोर बढ़ाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्टूबर को प्रदेश भर में भव्य रूप से महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाने का निर्णय लिया है। तय कार्यक्रमों के तहत प्रदेश के सभी जिलों में वाल्मीकि रामायण का पाठ कराएं जाएंगे। जहां उपचुनाव हो रहे हैं, उन जिलों जैसे (जनपद देवरिया, जौनपुर, उन्नाव, कानपुर नगर, अमरोहा, फिरोजाबाद और बुलन्दशहर) को छोड़कर अन्य सभी जिलों में यह आयोजन किए जाएंगे। इस कार्यक्रम को लेकर बुधवार को सरकार के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने प्रदेश के सभी मण्डलायुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर उनकी जावबदेही सुनिश्चित कर दी है।
मुख्य सचिव बताया कि महर्षि वाल्मीकि विश्व के आदि कवि हैं, जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध कालजयी कृति रामायण महाकाव्य की रचना श्रीराम के जीवनकाल में की। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण सामाजिक मूल्यों, मानव मूल्यों और राष्ट्र मूल्यों की स्थापना के आदर्श हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित स्थल जिन्हें राम-जानकी मार्ग, राम वन-गमन मार्ग आदि के रूप में जाना जाता है, जो सम्पूर्ण भारत वर्ष में लगभग 280 स्थलों के रूप में आज भी विद्यमान हैं। उत्तर प्रदेश में राम-जानकी मार्ग और राम वन-गमन मार्ग के अन्तर्गत अनेक स्थल विद्यमान हैं, जहां भारतीय संस्कृति के मूल तत्व और मान्यतायें सुरक्षित हैं।
दीप प्रज्ज्वलन और दीप दान के साथ अनवरत 24 घंटे होगा वाल्मीकि रामायण का पाठ
मुख्य सचिव ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में निहित मानव मूल्यों, सामाजिक मूल्यों व राष्ट्र मूल्यों के व्यापक प्रचार-प्रसार व जनमानस को इससे जोड़ने के लिये महर्षि वाल्मीकि से सम्बन्धित स्थलों/मन्दिरों आदि पर दीप प्रज्ज्वलन/दीप दान के साथ-साथ अनवरत 08, 12 अथवा 24 घंटे का वाल्मीकि रामायण का पाठ किए जाने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। श्री राम, हनुमान और रामायण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण स्थलों/मंदिरों का चयन करते हुए वहां सुरुचिपूर्ण आयोजन के साथ रामायण पाठ/भजन आदि के कार्यक्रम कराए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के आयोजन हेतु स्थानीय स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक दलों/कलाकारों का चयन संस्कृति विभाग और सूचना विभाग करेगा। इसका जिसका समन्वय जिला प्रशासन करेगा। जिले स्तर पर चयनित मंदिरों/स्थलों पर आयोजित कार्यक्रमों के संबंध में जिलाधिकारी कार्यक्रम के आयोजन के अनुश्रवण के साथ-साथ कोविड-19 हेतु शासन के जारी दिशा-निर्देशों व गाइडलाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्ण रूप से पालन करते हुए इस भव्य और दिव्य आयोजन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की व्यापक और उचित भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। आयोजन का व्यापक प्रचार-प्रसार प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक और सोशल मीडिया पर सुनिश्चित करते हुए जनमानस को इससे जोड़ा जाएगा।
प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भव्यता के साथ कार्यक्रम सम्पन्न कराने के निर्देश
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलाधिकारी जनपद स्तरीय विभिन्न विभागों से समन्वय के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर इस कार्यक्रम को भव्यता के साथ सम्पन्न कराएंगे। प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी उक्त आयोजन हेतु अपने जनपद में एक नोडल अधिकारी नामित करेंगे, जिनका नाम, मोबाइल नम्बर व ई-मेल आईडी संस्कृति विभाग के नामित नोडल अधिकारी के ई-मेल आईडी पर भेजने की व्सवस्था करेंगे। बताया कि प्रदेश स्तर पर इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने और सभी प्रकार के समन्वय के लिए संस्कृति विभाग में डाॅ. योगेन्द्र प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक, संस्कृति निदेशालय, उप्र को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। समस्त मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारी निर्देशों के अन्तर्गत वाल्मीकि जयन्ती के कार्यक्रम को भव्य तरीके से सम्पन्न कराने और सम्पन्न कराए गए कार्यक्रमों के विवरण/फोटोग्राफ्स संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी की ई-मेल पर उपलब्ध कराएंगे।