गन्ना मूल्य भुगतान और चीनी उत्पादन में यूपी सबसे आगे : गन्ना विकास मंत्री
सूबे गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश गन्ना मूल्य भुगतान और चीनी उत्पादन में देश का नंबर-1 राज्य है। किसानों को सर्वाधिक 350 प्रति कुंतल गन्ने का मूल्य योगी सरकार दे रही है। बकाये गन्ना भुगतान में हमारी सरकार ने 2002 से 2017 के बीच हुए भुगतान से अधिक का भुगतान पिछले पांच साल में किया है। पिछले सत्र में किसानों से 35 हजार करोड़ रुपये मूल्य का गन्ना खरीदा गया, जिसमें से 28,700 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। शेष 6400 करोड़ का भुगतान आगामी सत्र से पहले कर दिया जाएगा। प्रदेश सरकार अबतक 1,76,590 करोड़ का रिकॉर्ड भुगतान कर चुकी है।
गन्ना मंत्री योगी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर शुक्रवार को लोकभवन सभागार में अपने विभाग की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार गन्ना रकबे में हेराफेरी और भ्रष्टाचार रोकने के लिए गन्ना सर्वेक्षण नीति को सत्र 2022-23 से लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट के तहत लागू की जा रही नीति से अब गन्ने रकबे का शत प्रतिशत सर्वे सही होगा, साथ ही किसानों की समस्याओं का समाधान भी होगा। अब कोई चार एकड़ रकबे को फर्जीवाड़ा कर 14 एकड़ नहीं दिखा सकेगा।
गन्ना मंत्री ने बताया कि योगी सरकार पहली बार गन्ना किसानों को सहकारी गन्ना समितियों का अंशधारक प्रमाण पत्र देने जा रही है। अगले सप्ताह मुख्यमंत्री के हाथों इसका वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी तक अंशधारक किसानों को यह पता ही नहीं होता था कि सहकारी गन्ना और सहकारी मिल समितियों में उनका अंश (शेयर) और समिति में अंशदान के लाभ हानि की स्थिति क्या है? यह व्यवस्था पूरी तरह आनलाइन होगी, जो देश में अभी कहीं नहीं है। इससे अनुशासन बढ़ेगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
गन्ना मंत्री ने बताया कि गन्ना किसानों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार आधार कार्ड की तर्ज़ पर 14 अंकों का यूनिक कोड तैयार कर रही है। इस आनलाइन कोड के जरिये किसान एक क्लिक पर प्रत्येक विपणन, अपनी पर्ची, तिथि, गन्ने का रकबा, गांव और भुगतान की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होगी।
गन्ना मंत्री ने बताया कि योगी सरकार ने गन्ना उत्पादन और गन्ने की गुणवत्ता में इजाफे के लिए नौ सूत्रीय कार्यक्रम लागू किया है। इसके लिए सरकारी खर्चे पर किसानों को 15-15 दिन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ गन्ने की ढुलाई लागत घटाने और चीनी उद्योग के सुदृढ़ीकरण, पर्यावरण की सुरक्षा की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि 35-40 साल पहले गन्ने का रिकवरी दर महज 8-9 प्रतिशत होता था। आज यह बढ़कर 14 फीसद तक पहुंच गई है।
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