बहुत खराब श्रेणी में पहुंचा दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI-355
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण बना सांस और हृदय रोगियों के लिए जानलेवा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 355 तक पहुंच गया है, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। वायु प्रदूषण का यह स्तर न केवल सामान्य लोगों के लिए, बल्कि खासकर सांस और हृदय रोगियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। ऐसे में सतर्कता और बचाव उपाय अपनाना अत्यावश्यक हो गया है।
सांस पर प्रभाव और जोखिम
वायु गुणवत्ता सूचकांक के बढ़ने से हवा में हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। खासकर जिन लोगों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और सीओपीडी जैसी सांस संबंधी बीमारियां हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी घातक है। हवा में मौजूद छोटे-छोटे प्रदूषक कण फेफड़ों में जाकर सूजन, जलन और सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न कर सकते हैं। लगातार इन कणों के संपर्क में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है और इससे दीर्घकालिक बीमारियां जन्म ले सकती हैं।
हृदय रोगियों के लिए खतरा
प्रदूषित हवा में न केवल श्वसन तंत्र पर बल्कि हृदय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण से हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और यहां तक कि हृदयाघात का खतरा भी बढ़ सकता है। हृदय रोगियों के लिए प्रदूषित हवा में सांस लेना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इससे रक्त वाहिनियों में सूजन होती है, जो हृदय की सेहत के लिए हानिकारक है।
बचाव के उपाय
सांस और हृदय रोगियों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जितना संभव हो, घर के अंदर ही रहें और बाहर निकलने से पहले वायु गुणवत्ता के स्तर की जांच अवश्य करें। बाहर निकलते समय एन-95 मास्क का प्रयोग करें, जो प्रदूषक कणों को फिल्टर करने में सहायक होता है। सुबह के समय खुली हवा में टहलने से बचें क्योंकि इस समय प्रदूषक कणों की मात्रा अधिक होती है। घर में हवा को शुद्ध करने वाले पौधे जैसे एलोवेरा, स्नेक प्लांट, और एरेका पाम का उपयोग करें, ताकि इनडोर हवा की गुणवत्ता सुधारी जा सके।
विशेष सतर्कता आवश्यक
प्रदूषण के इस स्तर पर, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए सतर्कता और उचित कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर हृदय और सांस के रोगियों को डॉक्टर की सलाह पर चलते हुए उचित दवाइयों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए और अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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