गणतंत्र दिवस परेड 2025 में झांकियों के माध्यम से विरासत और विकास का प्रदर्शन

गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ पर 15 राज्यों और 11 मंत्रालयों की झांकियां होंगी शामिल
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस परेड 2025 के दौरान कर्तव्य पथ पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विकास की झलक झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित की जाएगी। इस वर्ष का मुख्य विषय ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ तय किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने इस विषय को निर्धारित करने के लिए राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विशेषज्ञों से परामर्श प्रक्रिया को अपनाया। झांकियों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अप्रैल 2024 में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें प्राप्त सुझावों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया।
झांकी चयन प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष, पारदर्शी और योग्यता-आधारित है। विशेषज्ञ समिति द्वारा कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के सहयोग से झांकियों का मूल्यांकन किया गया। प्रत्येक झांकी के चयन में विचारों की नवीनता और विशिष्टता पर ध्यान दिया गया। झांकी में प्रस्तुत विषय को स्पष्ट और संप्रेषणीय बनाने के साथ ही इसमें विरासत और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने का भी प्रयास किया गया। इसके अलावा, रंग, रूप, बनावट, लय और संतुलन जैसे बारीक विवरणों को भी विशेष रूप से ध्यान में रखा गया, ताकि झांकियों का प्रदर्शन भव्य और प्रभावी हो सके।
इस बार कर्तव्य पथ पर 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां प्रदर्शित होंगी। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, दादर नगर हवेली और दमन व दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इनके अलावा, केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों और विभागों की झांकियां भी इस परेड का हिस्सा होंगी।
जो राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कर्तव्य पथ के लिए चयनित नहीं हो पाए हैं, उन्हें भी 26 से 31 जनवरी 2025 के बीच लाल किले पर आयोजित ‘भारत पर्व’ में अपनी झांकियां प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। इस आयोजन का उद्देश्य देश की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को व्यापक स्तर पर प्रस्तुत करना है।
गणतंत्र दिवस परेड की झांकियां भारत की संस्कृति और विकास यात्रा का ऐसा प्रदर्शन करेंगी, जो न केवल देशवासियों को गर्व की अनुभूति कराएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भविष्य की संभावनाओं को भी प्रदर्शित करेगा। ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ विषय के माध्यम से यह परेड एक गौरवशाली और प्रेरणादायक संदेश देगी।
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