बिहार: शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार, भविष्य के सपनों पर लगते दाग

अवैध वसूली के खिलाफ सख्त कदम उठाए बिना शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना असंभव
Khabari Chiraiya Desk: बिहार में शिक्षा विभाग की वर्तमान स्थिति चिंता का विषय है। हाल ही में विभाग के टोल फ्री नंबर पर आई 358 शिकायतें शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की पोल खोलती हैं। 10वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल परीक्षाओं में छात्रों से अवैध वसूली की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि शिक्षक और स्कूल प्रशासन, जो बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए जिम्मेदार हैं, अब छात्रों से धन वसूलने के केंद्र बन गए हैं।
अवैध वसूली की इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य केवल अंक और प्रमाणपत्र तक सिमट कर रह गया है? स्कूलों में अच्छे अंक दिलाने के लिए पैसे मांगने वाले शिक्षक और हेडमास्टर शिक्षा के मूलभूत सिद्धांतों का मखौल उड़ा रहे हैं। छात्रों और उनके अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है कि वे न केवल शिक्षा के लिए बल्कि प्रैक्टिकल अंक और पहचान पत्र जैसी मूलभूत सेवाओं के लिए भी अवैध भुगतान करें।
शिक्षा व्यवस्था में गिरावट के कारण
बिहार में शिक्षा विभाग की कार्यशैली लंबे समय से सवालों के घेरे में है। प्रैक्टिकल परीक्षाओं में धन वसूली और अन्य अवैध गतिविधियां यह संकेत देती हैं कि शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही की कमी है। विभाग के उच्च अधिकारियों का यह दावा कि शिकायतों पर जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी, केवल औपचारिकता प्रतीत होती है। यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार की शिकायतें सामने आई हैं, परंतु कार्रवाई के नाम पर परिणाम न के बराबर दिखाई देते हैं।
भ्रष्टाचार का प्रभाव
शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा नुकसान छात्रों को हो रहा है। जब शिक्षक और स्कूल प्रशासन पैसों के लिए नैतिकता का दामन छोड़ देते हैं, तो छात्रों में यह संदेश जाता है कि शिक्षा भी बिकाऊ है। इसके अलावा, ऐसे कृत्य बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके आत्मविश्वास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
प्रभावी सुधारों की आवश्यकता
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ द्वारा टोल फ्री नंबर की व्यवस्था करना एक सकारात्मक कदम है, परंतु इसे प्रभावी बनाने के लिए शिकायतों की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई आवश्यक है। विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
सरकार को भी शिक्षा विभाग में सुधार लाने के लिए व्यापक नीति तैयार करनी होगी। शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को नैतिकता और कर्तव्यनिष्ठा के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके अलावा, छात्रों और अभिभावकों के लिए भी जागरूकता अभियान जरूरी है ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो सकें।
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