September 5, 2025

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7 सितंबर 2025 को भारत में दिखाई देगा चंद्रग्रहण का अद्भुत नज़ारा

  • यह ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है

Khabari Chiraiya Desk: सितंबर का महीना खगोल विज्ञान और आस्था दोनों ही दृष्टियों से बेहद खास होने वाला है। इस महीने की 7 तारीख को आकाश में चंद्रग्रहण का दुर्लभ दृश्य दिखाई देगा, जिसे भारत से भी प्रत्यक्ष देखा जा सकेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण केवल वैज्ञानिक घटना भर नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है। मान्यता है कि इस समय साधना और मंत्र-जाप करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। शास्त्र कहते हैं कि ग्रहण के दौरान किया गया ध्यान न केवल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है बल्कि मन और आत्मा को गहरी शांति भी प्रदान करता है।

पंचांगों के अनुसार यह चंद्रग्रहण 7 सितंबर को लगेगा और इसका सूतक काल दोपहर 12:19 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की देर रात 1:26 बजे तक चलेगा। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह सूतक काल शाम 6:36 बजे से प्रभावी होगा और ग्रहण समाप्ति तक मान्य रहेगा। धार्मिक मान्यता यह है कि चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले आरंभ हो जाता है जबकि सूर्यग्रहण का सूतक बारह घंटे पूर्व से ही लागू हो जाता है। इसी कारण इसे अत्यंत संवेदनशील समय मानते हुए अनेक कार्यों को वर्जित बताया गया है।

ग्रहण और सूतक काल में शुभ कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों से परहेज़ करने का निर्देश दिया गया है। इस दौरान पूजा-पाठ, हवन, विवाह, गृह प्रवेश, मूर्ति स्थापना जैसे कार्य पूरी तरह निषिद्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन पकाना और खाना भी मना होता है। लोग नाखून काटने, बाल कटवाने, दाढ़ी बनाने, लंबी यात्रा करने या नए व्यवसाय की शुरुआत से भी बचते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान की गई लापरवाही जीवन में नकारात्मक परिणाम ला सकती है।

आहार संबंधी नियमों पर भी विशेष बल दिया गया है। ग्रहण काल में मांसाहार, मदिरा, प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित माना गया है। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि उन्हें सुई, कैंची या किसी भी नुकीली वस्तु का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इसका असर गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल हो सकता है।

यद्यपि सूतक काल को अशुभ बताया गया है, किंतु ग्रहण का क्षण आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और फलदायी माना गया है। इस समय मंत्र-जाप, ध्यान और साधना से साधक को कई गुना अधिक लाभ मिलता है। आस्था रखने वाले लोग इस अवसर को आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा अर्जित करने का सर्वोत्तम समय मानते हैं। माना जाता है कि ग्रहण की अवधि ईश्वर से जुड़ने और मन की गहराइयों को शांति से भरने का दुर्लभ अवसर होती है।

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