September 7, 2025

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साल का आखिरी चंद्रग्रहण, आज रात दिखेगा ब्लड मून का अद्भुत नजारा

आज रात आकाश में अद्भुत खगोलीय घटना देखने को मिलेगी, साल का अंतिम चंद्रग्रहण भारत सहित पूरी दुनिया के कई हिस्सों में नजर आएगा

Khabari Chiraiya Desk : आज रात खगोलीय और धार्मिक दोनों ही दृष्टियों से ऐतिहासिक बनने जा रही है। जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आकर लालिमा लिए हुए चमकेगा तो पूरा आकाश मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पेश करेगा। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें आज रात के इस अद्भुत नजारे पर टिकी होंगी। वैज्ञानिकों के लिए यह अध्ययन का अवसर है तो आस्था रखने वालों के लिए यह तप, स्मरण और दान का समय है।

खगोलीय घटना का महत्व

आज का चंद्रग्रहण वर्ष 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण है। इसके बाद 21 सितंबर को सूर्यग्रहण दिखाई देगा। इस वजह से सितंबर का महीना खगोल विज्ञान और धार्मिक परंपराओं दोनों ही दृष्टियों से बेहद खास है। लोगों में इसे लेकर खासा उत्साह है और वैज्ञानिकों के साथ-साथ आमजन भी आसमान की ओर टकटकी लगाए रहेंगे।

कितने बजे से कब तक चलेगा ग्रहण

ग्रहण की शुरुआत रात 9:58 बजे होगी और यह 1:26 बजे समाप्त होगा। इस दौरान करीब साढ़े तीन घंटे तक चांद पृथ्वी की छाया में रहेगा। पूर्णिमा का चांद इस समय लालिमा लिए हुए दिखाई देगा। यह दृश्य ब्लड मून के नाम से प्रसिद्ध है, जिसे खगोल प्रेमी बेसब्री से देखना चाहते हैं।

कहां-कहां दिखाई देगा

भारत ही नहीं बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका जैसे देशों में भी यह चंद्रग्रहण साफ-साफ देखा जा सकेगा। भारत में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे, लखनऊ, हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों में लोग इसका आनंद ले सकेंगे। लगभग पूरे देश में यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाई देगी।

सूतक काल और मान्यताएं

ग्रहण लगने से नौ घंटे पहले यानी दोपहर 12:58 बजे से सूतक काल शुरू हो चुका है। इस दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और देवी-देवताओं की मूर्तियों को छूना वर्जित माना जाता है। तुलसी के पौधे को भी इस समय नहीं छुआ जाता। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान, पूजा-पाठ और घर में गंगाजल का छिड़काव करना शुभ माना जाता है।

धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं

चंद्रग्रहण को लेकर कई परंपराएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि ग्रहण काल में भोजन बनाना और खाना अशुभ होता है। इस दौरान दांपत्य संबंध बनाने से बचना चाहिए और किसी तरह का धन लेन-देन भी वर्जित है। यात्रा करने और धारदार वस्तुओं के उपयोग को भी टालना चाहिए। इसके विपरीत इस समय मंत्र जाप, ध्यान और ईश्वर का स्मरण करने से पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर गरीबों को दान देने की परंपरा है। चावल, दूध, घी, सफेद वस्त्र और चांदी का दान करना शुभ फल देने वाला माना जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसी कारण चांद पर लालिमा दिखाई देती है जिसे ब्लड मून कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह घटना एक सामान्य खगोलीय प्रक्रिया है, लेकिन सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं ने इसे विशेष बना दिया है।

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