इस बार 23 अक्टूबर को भक्त करेंगे भगवान चित्रगुप्त की आराधना

- कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष हमेशा भक्ति और उत्सव का समय होता है
Khabari Chiraiya Desk : कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष हमेशा भक्ति और उत्सव का समय होता है। दिवाली की रोशनी के अगले दिन जब भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, उसी दिन श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह घर की पूरी साफ-सफाई कर शुद्ध वातावरण बनाना शुभ माना गया है। स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण कर लकड़ी की चौकी पर पीले कपड़े बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है। पूजा में कलम, दवात, कॉपी या किताबों को रखा जाता है, जिन्हें ज्ञान और लेखन का प्रतीक माना जाता है।
पूजन के दौरान भगवान गणेश का स्मरण कर चित्रगुप्त का ध्यान किया जाता है। उन्हें फूल, चंदन, अक्षत और पंचामृत अर्पित किया जाता है तथा घी का दीपक जलाया जाता है। मंत्र ‘ऊँ चित्रगुप्ताय नमः’ का कम से कम 11 बार जाप करने का विधान है। इसके बाद कोरे कागज़ पर भगवान के नाम लिखकर अपनी इच्छाएं प्रकट की जाती हैं और क्षमायाचना की जाती है।
पूजा के पश्चात आरती की जाती है और प्रसाद सभी में वितरित किया जाता है। यह दिन अपने विचारों और कर्मों को शुद्ध करने का प्रतीक है, इसलिए इस दिन किसी भी तरह का विवाद, गुस्सा या अपवित्र आचरण नहीं करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज़ करें और पूरे दिन शांति बनाए रखें। मान्यता है कि इस दिन की पवित्रता जीवन में सुख, समृद्धि और न्याय की भावना को स्थायी बनाती है।
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