डूबते सूर्य के सामने झुके अनगिनत नतमस्तक हाथ
- नदियों-तालाबों के घाट श्रद्धा के आलोक से जगमगाए, मुख्यमंत्री ने आवास पर किया अर्घ्य, मुजफ्फरपुर से औरंगाबाद तक उमड़ा जनसैलाब
Khabari Chiraiya Desk: बिहार में आस्था का महासमुद्र सोमवार को उस क्षण चरम पर पहुंच गया, जब छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने शुभकामनाओं का दामन जल में समर्पित कर दिया। विभिन्न वस्त्रों में सजी महिलाएं, सिर पर दंडवत भाव से टोकरी थामे पुरुष और घाटों पर टिमटिमाती दीपों की पंक्तियां…यह नजारा किसी स्वर्गीय उत्सव से कम नहीं था।
पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग स्थित अपने आवास पर संध्याकालीन अर्घ्य अर्पित कर छठी मैया के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। राजधानी से लेकर गांव-देहात तक, हर कोने में उसी भक्ति का रंग बिखरा हुआ दिखा।
मुजफ्फरपुर के बूढ़ी गंडक नदी तट से श्रद्धा का एक अलग ही प्रवाह देखने को मिला। शहबाजपुर, चकगाजी, मुरादपुर, रसूलपुर उमानगर और मेडिकल कॉलेज के पास बने घाटों पर व्रतियों ने पूरी निष्ठा के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को प्रणाम किया। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ पंडित श्याम सुंदर झा ने वर्तियों को पारंपरिक विधि से अर्घ्य दिलाते हुए छठ की सांस्कृतिक विरासत का महत्व भी बताया।
इधर, औरंगाबाद के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। जैसे-जैसे सूरज क्षितिज की तरफ ढलता गया, वैसे-वैसे भावनाएं और विश्वास जल की लहरों में फैलते गए। बिहार के प्रत्येक घाट पर आस्था की वही कहानी दोहराई गई। एक व्रत, एक सूर्य और अनगिनत कामनाएं…इतिहास जितना प्राचीन, उतनी ही उजली इसकी परंपरा।
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