अयोध्या: भागवत ने कहा पांच सौ वर्षों की साधना ने आज नया शिखर पाया
- राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले हर व्यक्ति को सम्मान देते हुए उन्होंने इसे युगांतरकारी क्षण कहा।
Khabari Chiraiya Desk : अयोध्या में राम मंदिर के उंचे शिखर पर जब धर्मध्वज लहराया तो पूरा वातावरण श्रद्धा से सराबोर हो उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धर्मध्वज के आरोहण के बाद आयोजित समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भावपूर्ण संबोधन देते हुए कहा कि अयोध्या की यह क्षण सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि कई पीढ़ियों की साधना का फल है। उन्होंने कहा कि जिन महापुरुषों ने राममंदिर के लिए अपना जीवन समर्पित किया और सपना अधूरा छोड़कर इस संसार से विदा हो गए, आज उनकी तपस्या को भी तृप्ति मिली होगी।
संघ प्रमुख ने कहा कि रामराज्य के समय जिस प्रकार केसरिया ध्वज अयोध्या की प्रतिष्ठा का प्रतीक था, उसी गौरव को आज फिर से स्थापित किया गया है। उन्होंने राममंदिर आंदोलन से जुड़े महान संतों और कार्यकर्ताओं को स्मरण करते हुए कहा कि उनकी इच्छाओं और सपनों से भी अधिक भव्य स्वरूप में यह मंदिर खड़ा हुआ है। उन्होंने इसे उन दिवंगत आत्माओं के तप और त्याग की आध्यात्मिक पूर्णता बताया।
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर निर्माण का यह अध्याय केवल अतीत का सम्मान नहीं बल्कि आने वाले समय के लिए मार्गदर्शन भी है। उन्होंने कहा कि धर्मध्वज सिर्फ परंपरा का प्रतीक नहीं बल्कि उस संकल्प का दर्पण है जिसमें समाज के भीतर एकता, समरसता और राष्ट्रहित सर्वोपरि हो। उन्होंने कहा कि सूर्य की तरह हिंदू समाज भी कभी थमा नहीं, निरंतर आगे बढ़ता रहा और उसी धैर्य ने पांच सौ वर्ष के बाद आज यह दृश्य संभव बनाया।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस मंदिर का स्वप्न संत समाज और रामभक्तों ने वर्षों तक देखा था, उससे भी अधिक दिव्यता आज साकार रूप में उपस्थित है। उनके अनुसार यह दिवस केवल एक धार्मिक तिथि नहीं बल्कि ऐसे क्षण का आगमन है जिसे कई पीढ़ियां अपनी आंखों से देखने को तरसती रहीं।
धर्मध्वज प्रदर्शन के इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और अनेक संत महात्मा तथा गणमान्य लोग उपस्थित थे। राममंदिर परिसर में उमड़ी ऊर्जा, प्रकाश और श्रद्धा ने पूरे आयोजन को एक युगांतकारी अनुभव बना दिया।
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