November 22, 2024

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यूपी की राजनीति में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए मैनपुरी उपचुनाव दे गया बड़े बदलाव का संकेत

सियासत

  • लोस चुनाव में धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव का फार्मुला राजनीतिक पंडितों का सियासी गणित बिगाड़ सकता है
  • चाचा शिवपाल अब सपा के अहम किरदार होंगे और रूठों को मनाकर बिखरी गोटियां एक मंच पर लाकर मोर्चा तैयार करेंगे
  • मैनपुरी उपचुनाव में जीत से मिले ऑक्सीजन से लबरेज सपा प्रमुख ने दावा किया है कि 2024 में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत होगी

यूपी की राजनीति में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए मैनपुरी का उपचुनाव बड़े बदलाव के संकेत दे गया। संकेत यह कि लोस चुनाव में भी धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव का फार्मुला राजनीतिक पंडितों का सियासी गणित बिगाड़ सकता है। मैनपुरी उपचुनाव में जीत से मिले ऑक्सीजन से लबरेज सपा प्रमुख ने दावा किया है कि 2024 में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत होगी। उपचुनाव में चाचा से मिली ताकत के बाद चाचा को बड़ी जिम्मेदारी देने का ऐलान कर चुके हैं।

उधर, चाचा शिवपाल यादव की आमद के साथ ही सपा मिशन फतह 2024 को लेकर मंथन शुरू हो चुका है। पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटने जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि सपा छोटे दलों से यारी करके 2024 के अपने मिशन को फतह करने की रणनीति के साथ चुनाव में उतरेगी।

सपा सहयोगी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद के गठबंधन में साथ आने का संकेत दिया है। आजाद ने खतौली में सपा आरएलडी गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी किया था, जीत सामने है।

चाचा शिवपाल अब सपा के अहम किरदार होंगे और रूठों को मनाकर बिखरी गोटियां एक मंच पर लाकर मोर्चा तैयार करेंगे। माना जा रहा है कि छोड़ गए या रुठे क्षेत्रीय क्षत्रपों को साथ लाने में चाचा कारगर साबित हो सकते हैं। निकाय चुनाव बाद इसकी कवायद शुरू होनी तय मानी जा रही है। ओमप्रकाश राजभर, केशव देव मौर्य, असुदद्दीन औवेसी और अन्य कुछ नेताओं को सपा खेमे में लाने की तैयारी है, क्योंकि शिवपाल यादव के छोटे दलों से रिश्ते ठीक हैं।

वैसे फिलहाल सपा गठबंधन के मजबूत साथी रहे राजभर अलग राह पर हैं। सुभासपा देर सबेर सपा गठबंधन का हिस्सा बन सकती है, यह समय बताएगा पर राजभर इन दिनों अभी सपा पर हमलावर हैं। सपा से महान दल भी खफा है, उसे भी तवज्जो नहीं मिली थी। जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के संजय चौहान ने प्रचार अभियान चलाया था। सपा के साथ रालोद और अपना दल कमेरावादी है।

रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा की शिकस्त के बाद गठबंधन में दरार आई। राजभर ने हार का ठीकरा अखिलेश यादव पर मढ़ दिया। जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के संजय चौहान ने स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान को दगा कारतूस बता दिया था। असुदद्दीन औवेसी, राजभर और शिवपाल ने मोर्चो बनाने के लिए कई बैठकें की थीं, लेकिन धरातल पर नतीजा शिफर रहा। ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ गठजोड़ की कोशिश में थी, लेकिन शिवपाल खुद ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़ गए थे।

मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जारी अपने बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश के साथ धोखा हुआ है, लेकिन अब जनता जान चुकी है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की राजनीति को लेकर बड़े संकेत दिए है। बताया है कि 2024 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री केसीआर, सीएम नीतीश कुमार सब मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि पीएम को लेकर एक विकल्प बनें। उन्होंने कहा कि मैनपुरी के परिणाम ने नकारात्मक राजनीति को ठुकराया है। 2024 में यूपी में समाजवादियों की बड़ी जीत जनता दर्ज करायेगी।

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