बिहार: जब मंत्री का बेटा भी सुरक्षित नहीं तो आम जनता का क्या होगा

- पुलिस और प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के कारण अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है
Khabari Chiraiya Desk: बिहार में कानून-व्यवस्था की हालत पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब हालात और भयावह होते दिख रहे हैं। जिस राज्य में अपराधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्री के बेटे को फोन कर दस लाख रुपये की रंगदारी मांगने की हिम्मत कर रहे हों, वहां आम जनता की सुरक्षा का स्तर सहज अनुमान लगाया जा सकता है। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी का खुला प्रमाण है।
मामला पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता के बेटे कृष्ण मुरारी उर्फ़ मुरली से जुड़ा है। उनके मोबाइल पर रात 9:53 बजे फोन आया और कॉल करने वाले ने साफ शब्दों में कहा कि एक सप्ताह में दस लाख रुपये दो, नहीं तो जान से हाथ धोना पड़ेगा। मंत्री का बेटा भयभीत होकर थाने की शरण लेता है और पुलिस कॉलर की पहचान और लोकेशन निकालने की प्रक्रिया में जुटती है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि अपराधी को यह हिम्मत कहां से मिल रही है कि वह सत्ता के करीब बैठे व्यक्ति तक को चुनौती देने लगे।
बिहार की सड़कों से लेकर गांव-कस्बों तक अपराध का जाल फैला हुआ है। कभी गोलीबारी, कभी अपहरण और कभी रंगदारी की खबरें लगातार सुर्खियां बन रही हैं। यह सिलसिला थमता नहीं, बल्कि हर बार और खतरनाक रूप में सामने आता है। अपराधी जानते हैं कि सख्त कार्रवाई का जोखिम कम है, गिरफ्तारी में ढील है और राजनीतिक संरक्षण का खेल अलग है। यही कारण है कि उन्हें न पुलिस का डर है, न कानून का भय।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि यदि मंत्री का बेटा तक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है तो आम आदमी की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा। रोज़मर्रा की जिंदगी जीने वाला नागरिक, जो न तो प्रभावशाली है और न ही उसके पास सुरक्षा का इंतजाम है, वह कैसे चैन से रह पाएगा। यह स्थिति लोकतंत्र में बेहद खतरनाक संकेत है, जहां कानून का राज अपराधियों के सामने कमजोर पड़ता दिखे।
अब ज़रूरत है कठोर कदम उठाने की। पुलिस महज़ औपचारिक कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सकती। अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी तत्काल होनी चाहिए। साथ ही यह भी देखना होगा कि किन परिस्थितियों ने अपराधियों को इतना बेखौफ बना दिया। सरकार को यह मानकर चलना होगा कि एक मंत्री के बेटे पर खतरा केवल परिवार या व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न है।
यह घटना चेतावनी है कि अगर अभी भी कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो बिहार में अपराधियों का जंगलराज और गहराएगा। जरूरत है कि सरकार और पुलिस दोनों मिलकर ऐसा संदेश दें कि कानून से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह आम हो या खास।
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