October 22, 2025

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जस्टिस संजीव खन्ना बनें भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश

कई ऐतिहासिक फैसलों और संवैधानिक मुद्दों के साहसी निर्णयों के लिए याद किया जाएगा जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल

नई दिल्ली : राष्ट्रपति भवन में सोमवार सुबह जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह लेते हुए जस्टिस खन्ना ने न्यायिक प्रणाली में नई ऊर्जा का संचार किया। जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल कई ऐतिहासिक फैसलों और संवैधानिक मुद्दों के साहसी निर्णयों के लिए याद किया जाएगा और अब उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का दारोमदार जस्टिस खन्ना पर है।

केंद्र सरकार की घोषणा और नियुक्ति की प्रक्रिया

24 अक्टूबर 2024 को केंद्र सरकार ने जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति की औपचारिक घोषणा की थी, जो संविधान के अनुसार एक साप्ताहिक प्रक्रिया का परिणाम था। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खन्ना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में अनुशंसा की थी, जिसके बाद इस नियुक्ति पर मुहर लगी।

न्यायिक योगदान में खन्ना का विशिष्ट स्थान

जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों में अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने चुनावी बांड योजना को रद्द करने, अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के पक्ष में निर्णय देने, ईवीएम की विश्वसनीयता को बनाए रखने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। उनके फैसले न केवल न्यायपालिका की शक्ति को सशक्त करते हैं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में पारदर्शिता का संदेश भी देते हैं।

कानूनी पृष्ठभूमि और परिवार का सम्माननीय इतिहास

जस्टिस संजीव खन्ना एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, जस्टिस देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं, और उनके चाचा एच.आर. खन्ना सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने न्यायाधीश थे, जिन्हें उनके निर्भीक फैसलों के लिए आज भी याद किया जाता है। खन्ना परिवार में न्याय का ये सिलसिला तीसरी पीढ़ी तक जारी है, और जस्टिस संजीव खन्ना ने इस विरासत को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होकर सशक्त किया है।

जस्टिस चंद्रचूड़ को भावपूर्ण विदाई

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल का अंतिम दिन पूरा किया। उन्हें सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों द्वारा भावपूर्ण विदाई दी गई, जिसमें उनकी न्यायिक प्रतिबद्धता और योगदान के प्रति गहरा सम्मान झलकता था।

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