May 31, 2025

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जीएसएलवी-एफ15 नेविगेशन उपग्रह के साथ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित

नए अध्यक्ष वी नारायणन के कार्यकाल में यह पहला बड़ा मिशन, भारत के अंतरिक्ष नेविगेशन को मिली नई मजबूती

Khabari Chiraiya Desk : भारत के अंतरिक्ष मिशन में आज एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो ने सफलतापूर्वक जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को अंतरिक्ष में भेज दिया। यह प्रक्षेपण न केवल देश के नेविगेशन सिस्टम को और अधिक सशक्त बनाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।

सटीक नेविगेशन की ओर एक और कदम

आज सुबह 6:23 बजे श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से इस मिशन को अंजाम दिया गया। यह जीएसएलवी (भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान) की 17वीं उड़ान थी और इसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग किया गया। इसरो ने प्रक्षेपण की सफलता की घोषणा करते हुए कहा, “GSLV-F15/NVS-02 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया। अंतरिक्ष नेविगेशन में भारत ने एक नई ऊंचाई छू ली है।”

नाविक श्रृंखला का दूसरा अहम उपग्रह

एनवीएस-02 उपग्रह ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) श्रृंखला के तहत भेजा गया दूसरा उपग्रह है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप और इससे 1,500 किलोमीटर आगे तक के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी उपलब्ध कराना है। इस प्रणाली से देश में बेहतर नेविगेशन सेवाएं मिलेंगी, जो न केवल आम नागरिकों बल्कि सैन्य और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी कारगर होगी।

वी नारायणन के नेतृत्व में पहला सफल मिशन

इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन के कार्यकाल में यह पहला बड़ा मिशन है। उन्होंने 13 जनवरी को पदभार संभाला और महज कुछ ही दिनों में इस सफलता को हासिल कर लिया। उनके नेतृत्व में इसरो की यह पहली उड़ान है, जो पूरी तरह से सफल रही।

अंतरिक्ष नेविगेशन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत

विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिशन भारत की तकनीकी ताकत को और अधिक मजबूत करेगा और वैश्विक स्तर पर इसे नेविगेशन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाएगा। नाविक प्रणाली को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जिससे भारत को अमेरिकी जीपीएस जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की लगातार बढ़ती ताकत

इसरो ने पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं। यह मिशन इसरो की इसी सफलता यात्रा का एक और महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में इसरो के कई और महत्वाकांक्षी मिशन तैयार हैं, जो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में और ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। इस सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय वैज्ञानिक दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। भारत का अंतरिक्ष भविष्य उज्ज्वल है, और यह प्रक्षेपण उसी दिशा में एक मजबूत कदम है।

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