हिमाचल के बाद अब गुजरात में चलेगा यूपी ब्रांड का जादू, मोदी-शाह और नड्डा के साथ 40 स्टार प्रचारकों में योगी भी
लखनऊ (यूपी)। हिमाचल के बाद अब ब्रांड योगी का जादू गुजरात में चलेगा। मुख्यमंत्री, गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हिमाचल के अपने व्यस्ततम चुनावी कार्यक्रम से खाली हुए हैं। इसके तुरंत बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनको गुजरात के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल कर लिया है।
भाजपा ने गुजरात के लिए जिन 40 स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को सौपीं है, उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भोजपुरी फिल्मों के स्टार एवं सांसद मनोज तिवारी, निरहुआ, रवि किशन, हेमा मालिनी, परेश रावल, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, नितिन पटेल के नाम शामिल हैं। गुजरात में इसी महीने चुनाव हैं। यहां की 182 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों (एक और पांच दिसंबर) में मतदान होने हैं। नतीजे 8 दिसंबर को हाल ही में सम्पन्न हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव के साथ ही आएंगे।
दरअसल, गुजरात में उत्तर भारतीयों की बड़ी संख्या है। अलग-अलग स्रोतों से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़ गुजरात में गैर प्रांतों के करीब 42 लाख लोग रह रहे हैं। यहां दो शहरों (अहमदाबाद और सूरत) की करीब 50 फीसद आबादी बाहर के लोगों की है। इन दोनों शहरों में विधानसभा की सीटें भी सर्वधिक हैं।
गुजरात में रहने वाले अन्य राज्यों के लोगों में सर्वाधिक यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र एवं ओडिसा के लोगों की संख्या भी ठीकठाक है। मसलन सूरत की आबादी में करीब 32.2 फीसद लोग बाहर के हैं। अहमदाबाद में यह संख्या करीब 12.4 फीसद है। जामनगर, भावनगर, राजकोट औऱ वडोदरा में भी अन्य राज्यों से आये हुये। इन सबमें उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या सर्वाधिक है।
उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनकर योगी आदित्यनाथ अपनी लोकप्रियता का प्रमाण दे चुके हैं। वह सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं नाथपंथ का हेडक्वॉर्टर माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठा धीश्वर भी हैं। यू तो नाथ पंथ के अनुयायी पूरे देश में हैं, पर गोरखपुर से सटा होने के नाते बिहार में इस पीठ की बड़ी मान्यता है। वहां मकरसंक्रांति (खिचड़ी) से लगने वाले माह भर के मेले में आने वाले लाखों लोगों में बिहार से आने वालों की संख्या सर्वाधिक होती है।
रोजी-रोटी की तलाश में वर्षों में पहले जो लोग गुजरात के महानगरों में गये उनमें से अधिकांश वहीं बस गये। उत्तर प्रदेश गुजरात में इस कदर रचा-बसा है कि यहां के कई गांवों में कुछ लोगों के नाम ही “गुजराती” हैं। अब भी यह सिलसिला जारी है। प्रवासी होने के बावजूद इसके वह अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। यही वजह है कि एक धर्मगुरु और नेता के रूप में अपनी बात को पूरी दमदारी एवं बेबाकी से रखने की वजह से उत्तर प्रदेश, बिहार के अलावा अन्य हिंदी भाषी राज्यों के लोगों को योगी प्रभावित करते हैं। पहले भी यह साबित हो चुका है। इस बार भी होगा।
गुजरात के पिछले चुनाव में भी योगी हिट रहे। उन्होंने जिन 29 जिलों की 35 सीटों पर प्रचार किया था उनमें से 20 पर भाजपा को जीत मिली थी। वह भी तब जब उस चुनाव में कांग्रेस से कांटे का मुकाबला था। यही वजह है कि सीटों के लिहाज से उस चुनाव में भाजपा भले नंबर एक रही हो उसका वोट फीसद घटा था। इस बार आप आदमी पार्टी की जोरदार इंट्री से फिलहाल मुकाबला त्रिकोणीय बनाता दिख रहा है। भले ही आधार सीटों की बजाय मतदान फीसद का हो। गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव में 182 सीटों में से बीजेपी को 99 और कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ उन चुनावों में योगी आदित्यनाथ की ही सर्वाधिक मांग थी।
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