NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति

- विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराया
Khabari Chiraiya Desk : भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। मंगलवार को हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने निर्णायक जीत हासिल की। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराया। यह जीत पहले से ही अनुमानित थी क्योंकि सत्ता पक्ष का गणित विपक्ष की संख्या पर भारी पड़ा।
चुनाव का समीकरण और दलों का रुख
इस चुनाव में संसद के दोनों सदनों के कुल 781 सदस्य मतदान के पात्र थे। जीत के लिए 391 मतों की आवश्यकता थी। एनडीए के पास 293 सांसदों का समर्थन और राज्यसभा में 129 सदस्यों की मौजूदगी थी। वहीं इंडिया गठबंधन के पास 325 सांसद थे। ऐसे में आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने एनडीए को समर्थन देकर राधाकृष्णन की जीत को और आसान बना दिया। पार्टी के 11 सांसदों का वोट निर्णायक साबित हुआ। दूसरी ओर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन किया। वहीं बीजेडी, बीआरएस और शिरोमणि अकाली दल जैसे दलों ने चुनाव से दूरी बना ली। अमृतपाल सिंह और सरबजीत सिंह खालसा जैसे सांसदों ने तो चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान भी किया।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुआ चुनाव
यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुआ। उन्होंने जुलाई में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया था। उनके हटने के बाद यह चुनाव अनिवार्य हो गया। अब सी.पी. राधाकृष्णन राज्यसभा के सभापति और देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन होंगे।
उपराष्ट्रपति की सैलरी और विशेष सुविधाएं
भारत के उपराष्ट्रपति को अलग से वेतन नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में सैलरी मिलती है। इस पद पर उन्हें हर महीने 4 लाख रुपये का वेतन मिलता है। इसके अलावा उन्हें आधिकारिक आवास दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति भवन में मिलता है।
सुरक्षा के लिहाज से उन्हें जेड या जेड+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाती है। उनकी यात्रा के लिए सरकारी वाहन, चालक और ईंधन की सुविधा उपलब्ध रहती है। संचार के लिए लैंडलाइन, मोबाइल और इंटरनेट की निशुल्क सेवा दी जाती है। इसके साथ ही देश-विदेश की हवाई, रेल और जल यात्रा का पूरा खर्च सरकार उठाती है।
चिकित्सा सुविधाओं में उन्हें सरकारी अस्पतालों और सीजीएचएस के अंतर्गत मुफ्त इलाज मिलता है। उनके पास 24 घंटे निजी डॉक्टर की सुविधा भी रहती है। पद छोड़ने के बाद उन्हें पेंशन, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं मिलती रहती हैं। इस तरह उपराष्ट्रपति का कार्यकाल न केवल संवैधानिक गरिमा से जुड़ा होता है बल्कि सुविधाओं के लिहाज से भी बेहद विशेष होता है।
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